चर्चित भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले की जाँच के संबंध में रविवार (2 अगस्त, 2020) को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हनी बाबू के नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी की। एनआईए की टीम सेक्टर 78 स्थित हाइड पार्क सोसायटी में सुबह करीब 7 बजे ही पहुँच गई । टीम की यह छापेमारी तकरीबन एक घंटे तक चली है।
बता दें कि, 54 वर्षीय हनी बाबू यलगार परिषद हिंसा मामले में 4 अगस्त तक की एनआईए हिरासत में हैं। हनी बाबू को एनआईए ने 28 जुलाई को गिरफ्तार किया था।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने हनी बाबू के घर से कई अहम दस्तावेज को कब्जे में लिया है। एनआईए के मुताबिक, जाँच के दौरान पता चला कि है हनी बाबू नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। हनी बाबू पर दूसरे आरोपितों के साथ भीमा-कोरेगाँव हिंसा में भी शामिल होने का आरोप है।
गौरतलब है कि भीमा कोरेगाँव यलगार परिषद मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर हनी बाबू एमटी पुत्र कुन्हु मोहम्मद को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू को बुधवार को मुंबई में NIA की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। NIA के प्रवक्ता ने बताया कि प्रोफेसर हनी बाबू उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के रहने वाले हैं। वह डीयू के इंग्लिश डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
हनी बाबू को मुंबई में एनआईए की विशेष कोर्ट में पेश किया गया था। एनआईए ने इस साल जनवरी में इस मामले की जाँच शुरू की थी और इसके बाद 14 अप्रैल को आनंद तेलतुंबड़े और गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया था।
इससे पहले पिछले वर्ष भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में पुणे पुलिस और नोएडा पुलिस की संयुक्त टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू के नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी भी की थी। यह छापेमारी भी प्रोफेसर सिंह के नक्सलियों से सम्बन्ध को लेकर की गई थी।
हनी बाबू डीयू के प्रोफ़ेसर हैं और ‘द कमिटी ऑफ सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स’ के सदस्य हैं। इस कमिटी का गठन जीएन साईबाबा द्वारा किया गया था। डीयू प्रोफ़ेसर साईबाबा को 2017 में महाराष्ट्र की एक अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। साईबाबा के प्रतिबंधित माओवादी संगठन सीपीआई से सम्बन्ध सामने आए थे।
क्या है मामला
31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया था। यहाँ कुछ बुद्धिजिवियों द्वारा भड़काऊ भाषणों देने के बाद अगले दिन 1 जनवरी 2018 को पुणे जिले के भीमा कोरेगाँव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा भड़क गई थी। इसमें एक युवक की जान चली गई थी। साथ ही करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ था। इस मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले समेत 19 लोगों को आरोपित बनाया गया था।