चुनाव आयोग ने NRC लिस्ट में बाहर हुए लोगों को बड़ी राहत देने का फैसला किया है। EC ने बताया है कि एनआरसी की सूची से बाहर लोगों को वोट डालने की अनुमति होगी। हालाँकि आयोग ने ये भी साफ़ किया है कि इन लोगों को ये अधिकार तभी तक मिलेगा जब तक नागरिक ट्रिब्यूनल उनके ख़िलाफ़ फैसला न सुना दे। इन सभी लोगों को ‘डी’ मतदाता श्रेणी (संदेहास्पद नागरिकता वाली श्रेणी) में रखा गया है। इसलिए इनके वोटर आइडी कार्ड में ‘डी’ चिह्नित किया जाएगा।
चुनाव आयोग के मुताबिक नागरिक ट्रिब्यूनल का फैसला आने तक वोटर लिस्ट में मौजूद हर मतदाता को वोट डालने का अधिकार होगा। ऐसे में अब जब तक इस मामले पर फाइनल ऑर्डर नहीं आता, तब तक ये आदेश बहाल रहेगा।
गौरतलब है कि NRC द्वारा अंतिम सूची 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी। जिसमें 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल थे, लेकिन 19 लाख लोग इस सूची से बाहर हो गए थे।
The voters left out of NRC will have the right to vote until and unless their case is pending at Foreigners Tribunal.
— India Today (@IndiaToday) September 27, 2019
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लिस्ट से बाहर लोगों को नागरिक ट्रिब्यूनल में अपील करने के लिए 120 दिन का मौका दिया गया है और कहा गया है कि अगर वे ट्रिब्यूनल के फैसले से संतुष्ट नहीं होते, तो उनके पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाने का भी विकल्प है।
प्रशासन ने इस कार्य के संबंध में असम में 100 से ज़्यादा नागरिक ट्रिब्यूनल स्थापित किए हैं और राज्य सरकार आने वाले हफ्तों में अन्य 200 नागरिक ट्रिब्यूनल स्थापित करने वाली है।
बता दें असम में एनआरसी की आखिरी सूची आने के बाद से इसपर लगातार बहस चल रही है। खासतौर पर दिल्ली और पश्चिम बंगाल में इस सूची को लेकर नेताओं में बयानबाजी तेज है। जिसका सबसे ताजा उदाहरण अरविंद केजरीवाल और मनोज तिवारी वाला मसला है। जहाँ दिल्ली सीएम केजरीवाल ने सांसद मनोज तिवारी के लिए कहा था कि यदि यहाँ एनआरसी आई तो मनोज तिवारी को दिल्ली छोड़नी पड़ेगी।
वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी भी पश्चिम बंगाल में NRC लागू होने की बात पर अपने हाथ पीछे कर रही है। वो तो इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर बात कर चुकी है, लेकिन अमित शाह द्वारा उन्हें इस संबंध में कोई जवाब नहीं मिला।