हिन्दू व्रत और त्योहारों पर बंटने वाले वामपंथी अज्ञान से काँवड़ यात्रा भी अछूती नहीं है। महादेव शिव के भक्तों की इस भक्तिमय यात्रा पर विभिन्न प्रकार की उँगलियाँ उठाने वालों के आरोपों में सच्चाई खोजने हमने 23 जुलाई 2022 (शनिवार) को काँवड़ियों के साथ बाइक पर हरिद्वार की यात्रा की। इस दौरान हमने काँवड़ियों के आम जनता और सरकारी कर्मचारियों के साथ व्यवहार के अलावा इस सावन माह के आर्थिक पहलुओं की भी जाँच की।
काँवड़ियों बरसते फूल और बँटे फल गरीबों से खरीदे
अपनी यात्रा के पहले पड़ाव में हम मुजफ्फरनगर से निकले और अति हाइवे से हरिद्वार की तरफ बढ़े। रास्ते में ‘बोल बम’ के नारे लगाते जा रहे काँवड़ियों पर नई मंडी थाने के SHO इंस्पेक्टर सुशील सैनी अपनी पूरी पुलिस टीम के साथ फूल बरसाते नजर आए। उन्होंने हमसे बात करते हुए बताया, “ये फूल हमने थोक भाव में अपने ही थानाक्षेत्र के एक गरीब फूल विक्रेता से खरीदे हैं। चंदा पूरे थाने की फ़ोर्स ने अपनी मर्जी से दिया। जिसने हमने फूल खरीदे वो काफी खुश है क्योंकि उसको फूलों के लगातार नए ऑर्डर भी मिल रहे हैं। हमें ख़ुशी है कि हमारे द्वारा बरसाए फूल न सिर्फ धर्म कार्य में लग रहे हैं बल्कि उस से किसी गरीब के घर में चूल्हा भी जल रहा है।”
यहाँ ये बात गौर करने लायक जरूर है कि इस पुष्प वर्षा पर वामपंथी व कट्टरपंथी सबसे अधिक सवाल खड़े करते हैं। जिस स्थान पर ये पुष्पवर्षा हो रही थी वहाँ पर कई फल बेचने वालों ने अपनी दुकानें लगा ली हैं। उनका कहना था, “अक्सर अधिकारी और अन्य कई लोग आते हैं और हमसे ही फल खरीद कर काँवड़ियों को दान करते हैं। हमारी अच्छी बिक्री हो रही है इस यात्रा में।”
एक झाँकी बनवाने में कई दुकानदारों को फायदा
दिवंगत CDS जनरल बिपिन रावत की झाँकी बनवाने वाले मेरठ के त्रिवेंद्र ने हमें बताया, “एक झाँकी बनवाने और उसे ले जाने में लगभग 5 लाख रुपए का ख़र्च आया है। इसमें लोहे, पेंट, पेंटर, कारीगर सबको पैसे दिए गए। इसे खींचने वाला ट्रैक्टर भी हमने किराए पर लिया है। हमने आपस में चंदा लगाया इसलिए हम पर बोझ भी नहीं पड़ा और इतने अलग-अलग दुकानदारों का भी घर चलेगा।”
काँवड़ यात्रा में 4 पैसे बढ़ जाते हैं
हरिद्वार के रास्ते में पुरकाजी के पास हाइवे पर गन्ने का जूस बेचने वाले कश्यप जी ने हमें बताया, “हम तो यहाँ साल भर जूस बेचते हैं लेकिन काँवड़ माह में हमें थोड़ा बढ़ कर पैसे मिलते हैं। सब महादेव जी की कृपा है।”
परचून वालों से करते है काफी खरीदारी
उत्तराखंड की सीमा में घुसते ही मंडावली क्षेत्र में निशुल्क शिकंजी और चाय का कैम्प लगा था। उस कैम्प को चलाने वाले राजवीर सिंह ने हमसे कहा, “प्रतिदिन चाय और शिकंजी मिला कर हम कुन्तलों में दूध, चीनी, बिस्किट और नींबू खरीदते हैं। ये सब हम स्थानीय दुकानदारों से नकद पैसे दे कर लेते हैं। उसकी आधे साल की कमाई इसी सावन मास में हो जाती है। हम एक फैक्ट्री के स्टाफ हैं और ये निशुल्क कैम्प हमारी फैक्ट्री के सभी स्टाफ द्वारा आपस में मिल-जुल कर पैसे जमा करने से चलता है। हमारे पैसे से काँवड़ियों के साथ दुकानदारों का भी पेट भर रहा। ये सब शिव शम्भू की कृपा है।”
नाबालिग आशू रोज कमा रहा 1 हजार से अधिक रुपए
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा के पास कटे हुए पपीते छोटे पत्तलों में बेच रहे एक लड़के पर हमारी नजर पड़ी। उसने खुद को आशू बताया और कहा, “मेरी उम्र 15 साल है। मैं थोक में मंडी से पापीता खरीद लाता हूँ और एक पत्ता पपीता 10 रुपए में बेचता हूँ। काँवड़ियों की भीड़ में हर दिन 100 से ज्यादा पत्ते बिक जाते हैं और मेरी हर दिन 1 हजार से अधिक कमाई है। मेरे माता-पिता गरीब हैं और हम सब मिल कर कमाते हैं।”
बेचते हैं 12 महीने पर इस महीने अधिक कमाई
रुड़की से पहले सड़क पर महादेव शिव के कपड़े बेचने वाले मोनू कमर ने कहा, “हम यहाँ 12 महीने कपड़े बेचते हैं लेकिन हमें काँवड महीने में अधिक फायदा मिलता है।”
काँवड़ से सबको फायदा
पतंजलि योगपीठ से थोड़ी ही दूर पर भारत का राष्ट्र ध्वज और भगवा झंडे बेचने वाले सन्नी कुमार ने कहा, “काँवड़ से मेरा ही नहीं बल्कि हर किसी का फायदा है।”
काँवड़ में बढ़ जाती है हमारी बिक्री
हरिद्वार के भैरव घाट पर महिलाओं के साज-श्रृंगार के सामान बेचने वाले संजीव कुमार के मुताबिक काँवड़ यात्रा में हमारी बिक्री अन्य दिनों के मुकाबले बढ़ती है।”
इस त्यौहार के बाद हमारा धंधा मंदा
हर की पौड़ी पर चाय बेचने वाले मोहन लाल राठौर ने कहा, “हम काँवड़ यात्रा में बहुत अच्छी कमाई करते हैं। इस त्यौहार के बाद हमको लम्बे समय तक मंदी झेलनी पड़ेगी। इसमें हमारी हुई कमाई उस मंदी में काम आती है।”
होटल और धर्मशाळा संचालकों ने हमारे द्वारा खाली कमरे की माँग पर हाउस फुल होना बताया। हमारी पूरे 2 दिनों के सफर के दौरान एक भी दुकानदार ऐसा नहीं मिला जिसने काँवड़ यात्रा से खुद को घाटे में बताया हो।