Friday, November 8, 2024
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यति नरसिंहानंद ने डासना मंदिर पर हुए हमलों को गिनाया, कहा – पिछले सभी महंत मार डाले गए या भगा दिए गए, मुस्लिमों के प्रभाव में पुलिस निष्क्रिय

यति नरसिंहानंद ने कहा, "पहले भी ये मंदिर सनातन का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। अब हमलावरों को फिर से लगने लगा है कि कहीं ये दुबारा उसी रूप में न आ जाए। इसीलिए यहाँ से उन्हें इतनी चिढ़ है। साथ ही मंदिर की जमीन आदि पर भी उनकी नजर है। मंदिर की बाउंड्री भी कई बार गिराई गई है। हम मूर्तियों को कड़ी सुरक्षा और निगरानी में रखते हैं इसलिए अभी तक वहाँ कोई नहीं पहुँच पाया है। हालाँकि, उनकी (विपक्षियों) की सबसे बड़ी समस्या धार्मिक है।"

गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने 1 मई, 2022 (रविवार) को UP के अलीगढ़ में हुई धर्म संसद में पुलिस और प्रशासन पर अपनी सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यदि उनके साथ खड़े होने वाले हजारों लोग न होते तो अब तक उनका काफी नुकसान हो चुका होता। इस धर्म संसद के मामले में यति नरसिंहानंद ने जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व में वसीम रिज़वी) के 4 महीने से जेल में होने पर निराशा जताई।

यति नरसिंहानंद को उत्तराखंड में हुई धर्म संसद मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। इसके अलावा उनके खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में केस भी दर्ज हैं। ऑपइंडिया ने यति नरसिंहानंद गिरी से मिल कर यह जानने का प्रयास किया कि जिन मामलों में वो शिकायतकर्ता है, उन केसों की क्या स्थिति है। इसी के साथ डासना क्षेत्र और मंदिर के इतिहास के बारे में भी जानने का प्रयास किया।

कभी ये इलाका था हिन्दू बहुल

यति नरसिंहानंद ने बताया, “कभी ये डासना इलाका हिन्दू बहुल हुआ करता था। लेकिन अब यहाँ हिन्दू नाममात्र के लिए बचे हैं। हिन्दुओं का पलायन हुआ। इन्होंने (मुस्लिमों) ने अपनी जनसंख्या भी तेजी से बढ़ाई। यहाँ के हिन्दू व्यापारी गाजियाबाद, पिलखुआ और नॉएडा जा कर बस गए हैं। अब यहाँ 95% लोग मुस्लिम हैं। मेरे मंदिर में आने वाली भीड़ पूरे देश के लोगों की होती है।”

मुस्लिम आक्रामकारी तोड़ चुके हैं मंदिर को

मंदिर के इतिहास के बारे में यति नरसिंहानंद ने कहा, “डासना देवी मंदिर भारत के सबसे प्राचीन शक्तिपीठों में से एक है। इतिहास में इस मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारी तोड़ चुके हैं जिसके बाद ये फिर से बना। इसको दुबारा बने लगभग 300 साल हो चुके हैं।”

मुझ से पहले के सभी महंत या तो मार दिए गए या भगा दिए गए

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा, “मेरी हत्या के प्रयास के साथ इस मंदिर डकैतियाँ भी डाली जा चुकी हैं। मुझ से पहले यहाँ जितने भी संत आए वो या मार डाले गए या भगा दिए गए। यहाँ पर मौनी बाबा नाम से एक बड़े प्रसिद्ध संत रहे थे जिनका नाम रामानंद गिरी था। वो जूना अखाड़े के महंत थे। उन्हें भगाने के लिए 3 बार मारपीट की गई और मंदिर में डकैती डाली गई। इस दौरान उनकी पूरी जमापूँजी को लूट लिया गया। अंतिम डकैती में उन्हें इतना मारा गया कि उनकी पसलियाँ टूट गईं और वो साल 2003 के आसपास मंदिर छोड़ कर चले गए।”

यति नरसिंहानंद के मुताबिक, “मौनी बाबा के बाद उनके शिष्य गणेश गिरी यहाँ आये पर उनके साथ भी इतनी मारपीट हुई कि वो भी मंदिर छोड़ कर चले गए। मौनी बाबा के पहले जो संन्यासी यहाँ रहते थे, उनका नाम ब्रह्मानंद था। आज तक ब्रह्मानंद का पता ही नहीं चला कि वो कहाँ गए। बस इतनी जानकारी मिली कि मंदिर में डकैती पड़ी और सामान की तोड़फोड़ हुई। तब ये भी नहीं पता चल पाया कि महंत ब्रह्मानंद का क्या हुआ? ऐसे और भी कई मामले हुए हैं।”

हमारी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं करती पुलिस

यति नरसिंहानंद गिरी ने पुलिस पर उनकी शिकायतों को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया, “यहाँ मुस्लिमों की बहुत बड़ी जनसंख्या है। इसलिए, यहाँ जिला पंचायत और नगर पंचायत जैसे पदों पर मुस्लिम जीतते हैं। पुलिस उनके राजनीतिक प्रभाव में रहती है। अगस्त 2021 में बिहार से आ कर इसी मंदिर में रुके स्वामी नरेशानंद पर हमला कर के उनके पेट को फाड़ दिया गया था। लेकिन आज तक उस केस में एक भी अपराधी को नहीं पकड़ा गया है जबकि वो CCTV कैमरे में दिख रहा है। मुस्लिमों की आबादी का इतना बड़ा भय है यहाँ प्रशासन में कि सरकार किसी की भी रही हो, इस मंदिर से जुड़े विवाद में सुनवाई हमेशा मुस्लिमों की ही हुई है। कई लोगों को तो हमने खुद पकड़ कर पुलिस को दिए हैं।”

मंदिर में डकैतियों और चरमपंथी हमलों की लम्बी श्रृंखला, लेकिन गिरफ्तारी एक भी नहीं

यति नरसिंहानंद ने आगे कहा, “2007-2008 में मैं इस मंदिर का महंत बना। 10 जुलाई 2010 में इस मंदिर में भीषण डकैती पड़ी थी। यहाँ मौजूद सभी लोगों के साथ मारपीट की गई थी। उस दिन मेरी हत्या का प्रयास किया गया लेकिन मैं रात को ही मंदिर से चला गया था। हर किसी से मेरे बारे में पूछा गया। इस केस में भी आज तक किसी को नहीं पकड़ा गया और केस भी नहीं खुला। इसके बाद 23 जुलाई’ 2010 को इस मंदिर को ध्वस्त करने के लिए मुस्लिम भीड़ ने हमला किया था। इस केस में पुलिस रिपोर्ट के बाद भी एक भी हमलावर आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया। इस हमले के बाद 17 सितंबर, 2014 को मंदिर में भीषण डकैती डाली गई। इस डकैती में गोला बारी तक हुई थी। आज तक उस डकैती का भी कोई एक आरोपित पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद भी नहीं पकड़ा गया।”

मेरी हत्या के फतवे देने वालों पर आज तक नहीं हुई कार्रवाई

अपने ऊपर हुए हमलों और साजिशों के बारे में यति नरसिंहानंद ने बताया, “हम पर हमला करने के लिए जैश के आतंकी आए लेकिन सिर्फ एक को पकड़ कर केस बंद कर दिया गया। पता भी नहीं चला कि उसे किसने भेजा था। मेरी हत्या के लिए हर दिन मौलाना फतवे देते हैं जो गूगल और सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं। इन फतवा देने वालों में से पुलिस किसी को नहीं पकड़ती। पकड़ना तो दूर, उनकी चर्चा भी नहीं होती है। 2 जून 2021 को मंदिर में हिन्दू से मुस्लिम बने जीजा – साले सर्जिकल ब्लेड ले कर मेरी हत्या करने आए थे। उनका चालान बहुत मामूली धाराओं में हुआ और अब वो जमानत पर छूट चुके हैं। कल वो फिर मेरे खिलाफ कोई प्लान बना रहे होंगे। उसके बाद बहुत बड़ा गिरोह पकड़ा गया धर्मांतरण वालों का, जिनके पास साइनाइड तक था। लेकिन, पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया और साइनाइड की कहीं चर्चा भी नहीं की। इस हमले की चर्चा खुद योगी आदित्यनाथ ने की थी पर कार्रवाई तो अधिकारियों को ही करनी होती है।”

सपा विधायक असलम चौधरी का बेटा पकड़ा गया था लड़कियाँ छेड़ते, पर छोड़ दिया गया

यति नरसिंहानंद ने आगे बताया, “पिछली बार जो यहाँ से समाजवादी पार्टी का विधायक असलम चौधरी था, उसका बेटा साल 2019-2020 में मंदिर के पास एक श्रद्धालु लड़की से बदतमीजी कर रहा था। हमने उसको पकड़ लिया और ऐसा करने से रोका। इस पर उसने खुद को विधायक असलम का बेटा बताया। इस पर हमारे मंदिर में मौजूद लड़कों ने उसकी अच्छे से पिटाई की। बाद में हमने उस लड़के को पुलिस के हवाले किया। लेकिन इस मामले में भी पुलिस ने कोई भी कार्रवाई करना तो दूर, रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की।”

हमलावरों की जमानत के लिए काम करता है एक बड़ा गिरोह

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद के मुताबिक, “हमारे यहाँ सर्जिकल ब्लेड ले कर घुसे लोगों की जमानत करवाई गई। आतंकियों का केस जमीयत उलेमा ए हिन्द लड़ती है। आप समझ सकते हैं कि इनके पीछे कौन है। इन्हें बचाने वाले बड़े-बड़े लोग हैं। आज नहीं तो कल ये मुझे मार ही देंगे। उनके प्रयास लगातार जारी हैं।”

मंदिर से नफरत की वजह इस जगह का सनातन केंद्र होना है

यति नरसिंहानंद ने कहा, “पहले भी ये मंदिर सनातन का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। अब हमलावरों को फिर से लगने लगा है कि कहीं ये दुबारा उसी रूप में न आ जाए। इसीलिए यहाँ से उन्हें इतनी चिढ़ है। साथ ही मंदिर की जमीन आदि पर भी उनकी नजर है। मंदिर की बाउंड्री भी कई बार गिराई गई है। हम मूर्तियों को कड़ी सुरक्षा और निगरानी में रखते हैं इसलिए अभी तक वहाँ कोई नहीं पहुँच पाया है। हालाँकि, उनकी (विपक्षियों) की सबसे बड़ी समस्या धार्मिक है।”

मुझे मृत्यु का भय नहीं

यति नरसिंहानंद ने कहा, “मुझे और मेरे मंदिर को मिली सुरक्षा का मतलब ये नहीं है कि मुझे मृत्यु का भय है। मेरी मृत्यु मेरी देवी माँ ने स्वयं लिखी होगी। फिर भी हम एहतियात रखते हैं। इसी सुरक्षा को भेद कर नरेशानंद जी पर हमला हुआ है। इसी सुरक्षा को भेद कर ही सर्जिकल ब्लेड ले कर मुझे 2 लोग मारने आए थे। इसलिए मेरे खुद के साथी मेरी सुरक्षा में रहते हैं। डासना के लगभग सभी मुस्लिम मेरे खिलाफ हैं।”

मुर्तजा अब्बासी को भेजा गया था योगी आदित्यनाथ के राजनैतिक कैरियर को खत्म करने के लिए

गोरखनाथ मंदिर पर हमले वाली घटना पर यति नरसिंहानंद ने कहा, “मुर्तजा अब्बासी केमिकल इंजीनियर और IIT था। फिर भी उसने गोरखनाथ मंदिर पर हमला किया। उसे योगी आदित्यनाथ के राजनैतिक कैरियर को बर्बाद करने के लिए वहाँ भेजा गया था। उसने जानबूझ कर पुलिस पर हमला किया। यदि पुलिस पलट कर मुर्तजा को गोली मार देती तो दुनिया भर में खबर चल रही होती कि पिता वकील, बाबा जज और IIT के एक होनहार इंजीनियर को योगी की पुलिस ने गोरक्ष पीठ में मार डाला। जब वो जिन्दा बच गया तो उसको पागल घोषित किया जाने लगा। हिन्दुओं के मंदिरों पर हमला करने वालों को या नाबालिग घोषित किया जाता है या पागल। असल में ये बहुत बड़ी साजिश है। ये पागल हैं तो मंदिरों पर हमले क्यों करते हैं। इसी प्रकार से मेरे मंदिर में नाबालिग सोची समझी साजिश से भेजे जाते हैं।”

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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