भरुच लव जिहाद मामले में सेशन कोर्ट ने आदिल अब्दुल पटेल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। करीब तीन माह पहले आदिल अब्दुल पटेल को पकड़ा गया गया था। इस मामले में कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए इसे ‘आज की पीढ़ी की लिए आँख खोल देने वाला केस’ बताया है। कोर्ट ने माना है कि आदिल अब्दुल पटेल ने एक योजना के तहत फर्जी आईडी बनाई और हिंदू लड़की को फँसाया। करीब चार साल तक उसने ऐसा किया। अगर आदिल को जमानत पर छोड़ दिया जाता है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।
ये मामला जनवरी में सामने आया था। जब भरुच की लड़की ने चावज गाँव के आदिल अब्दुल पटेल की बदमाशी को पकड़ा था, जो उसे 4 साल से गलत नाम-पहचान के साथ प्रेम संबंध रखे हुए था। लेकिन जब लड़की को सच्चाई का पता चला, तो वो उसके गाँव पहुँच गई और आदिल को जमकर पीटने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया था। इसके बाद भरूच ग्रामीण पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई थी और आदिल को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
आदिल ने मार्च 2024 में जमानत याचिका दाखिल की थी। आदिल ने दावा किया कि उसे फंसाने के लिए फर्जी शिकायत दर्ज कराई गई है। ऐसे में जब चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, तो उसे जमानत दे दी जाए। उधर, सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध किया। मामले की जानकारी देते हुए बताया गया कि आदिल ने इंस्टाग्राम पर गलत आईडी बनाकर लड़की से दोस्ती की और मुस्लिम होने के बावजूद खुद को हिंदू युवक ‘आर्य पटेल’ बताया। इतना ही नहीं, सहानुभूति पाने के लिए उनके साथ रहने के बावजूद उसने यह झूठ भी फैलाया कि उसके माता-पिता की सालों पहले एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी।
सरकारी वकील ने कहा कि ऐसे आरोपितों की कार्यप्रणाली पर विचार किया जाना चाहिए। अगर उसे जमानत पर रिहा किया गया तो वह दोबारा यह हरकत कर सकता है और अन्य मासूम लड़कियाँ भी इसका शिकार बन सकती हैं। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि चूँकि आरोपित और पीड़िता दोनों एक ही गाँव के हैं, इसलिए रिहा होने पर आरोपित सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। सरकार की दलील थी कि आरोपी ने गंभीर अपराध किया है और ऐसी हरकत दोबारा न हो, इसके लिए समाज में कड़ा संदेश देने की जरूरत है।
कोर्ट ने माना-आदिल ने फर्जी आईडी बनाई
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि वे मामले की खूबियों पर नहीं जा रहे हैं और सबूतों पर चर्चा करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस पर सुनवाई के दौरान चर्चा की जाएगी। लेकिन रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह स्पष्ट है कि आरोपित ने गलत आईडी बनाकर पीड़ित से संपर्क किया था। कोर्ट ने साफ कहा कि व्यक्तिगत रूप से मिलने के बाद भी आरोपित ने अपना असली नाम बताने के बजाय अपनी पहचान ‘आर्य पटेल’ बताई।
कोर्ट ने कहा, “आरोपित पहले से ही पीड़िता को गुमराह कर रहा था और उसने उसे प्रपोज किया था, जबकि वह शादीशुदा था और अपनी पत्नी के साथ रह रहा था। दोनों पहले एक-दूसरे को नहीं जानते थे और आरोपित ने पीड़िता से संपर्क करने के लिए गलत नाम अपनाया और कुछ हद तक सफल रहा। इस तरह के कृत्य की निंदा की जानी चाहिए।”
रिहा किया गया तो ऐसे तत्वों को बढ़ावा मिलेगा: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि आदिल की कार्यप्रणाली को देखते हुए भी अगर उसे जमानत दे दी जाती है, तो ऐसा करने वालों को प्रोत्साहन मिले। वहीं, अगर इस आरोपित को बरी कर दिया जाता है, तो इससे उन तत्वों को लाइसेंस मिल जाएगा जो मासूम लड़कियों का शोषण करने का मौका तलाश रहे हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा, ”इस मामले में आरोपी ने न सिर्फ दूसरे धर्म की पीड़िता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है बल्कि अपनी पत्नी के साथ भी गलत किया है।” कोर्ट ने इस केस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “यह मामला आज की पीढ़ी के लिए आँखें खोलने वाला हो सकता है, जो दूसरे व्यक्ति के बारे में कुछ भी जाने बिना बिना सोचे-समझे सोशल मीडिया पर ऐसे प्रपोजल एक्सेप्ट कर लेते हैं।”
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने साक्ष्यों, आरोपित की कार्यप्रणाली और तथ्यों पर विचार करते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी। आदिल अभी भी जेल में रहेगा। यह आदेश 26 मार्च को दिया गया था। कोर्ट के आदेश की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है।