एक वृद्ध महिला की मौत के बाद दफनाए जाने को लेकर चर्च के दो गुट इस तरह लड़ बैठे कि परिवार ने तंग आकर दफनाने का विचार ही त्याग दिया। दोनों गुटों की लड़ाई को देखते हुए परिवार ने मृत शरीर को एक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को दान देने का निर्णय लिया। दरअसल, शुक्रवार को 86 वर्षीय सारा वर्के की मृत्यु हो गई। त्रिपुनिथुरा निवासी सारा एर्नाकुलम स्थित सेंट जॉन चर्च की सदस्य थी। चर्च के नियम के मुताबिक़, मृतक के परिवार को अधिकार है कि वह ‘फैमिली ग्रेव’ में अपने मृत रिश्तेदार को दफनाए।
सारा का परिवार जैकोबाइट ईसाई है। लेकिन चर्च के ऑर्थोडॉक्स गुट ने परिवार की बात न मानते हुए जैकोबाइट पादरी से अंतिम क्रिया-कर्म की प्रक्रिया संपन्न कराने से मना कर दिया। रूढ़िवादी गुट अड़ गया कि वह किसी जैकोबाइट पादरी द्वारा अंतिम क्रिया-कर्म नहीं कराने देगा। तनाव को देखते हुए परिवार ने मृतक के देह-दान का निर्णय लिया और मृत शरीर को आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया, जहाँ इसका इस्तेमाल रिसर्च के लिए किया जाएगा।
परिवार का पहना है कि वे चर्च की आंतरिक लड़ाई का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे और तनाव नहीं बढ़ाना चाहते थे। मार्च में हाई कोर्ट भी कह चुका है कि जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स, दोनों ही गुटों के लोगों को चर्च में जाने, प्रार्थना में हिस्सा लेने और मृत रिश्तेदारों को दफनाने का बराबर का अधिकार है और इसमें भेदभाव नहीं किया जा सकता। लोगों ने आरोप लगाया है कि दफनाने का अधिकार छीन कर चर्च का ऑर्थोडॉक्स गुट लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहा है।
The Orthodox-Jacobite fight in Kerala. Wary of this fight, a Jacobite family did not even bother to take an 86-yr-old’s body to the burial ground. They donated her body. https://t.co/LbUqWjUCpU
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) August 25, 2019
विवाद होने और लोगों द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद ऑर्थोडॉक्स गुट के प्रवक्ता ने कहा कि चर्च में किसी जैकोबाइट पादरी द्वारा अंतिम क्रिया-कर्म संपन्न कराने की इजाजत नहीं दी जा सकती।