नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन जारी है। इस बीच खबर आ रही है कि सिंघु बार्डर पर किसानों के धरने में शामिल संत राम सिंह ने खुद को कथित तौर पर गोली मार ली है, जिससे उनकी मौत हो गई है। बाबा राम सिंह करनाल के रहने वाले थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाबी में लिखा एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। बताया जा रहा है कि संत राम सिंह दिल्ली बॉर्डर पर किसानों को कंबल बाँटने गए थे।
#FarmerProtest
— Rajesh poddar (@Rajeshpoddar00) December 16, 2020
सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में आए संत बाबा राम सिंह, नानकसर सिंगरा ने एक सुसाइड नोट लिखकर अपने आप को गोली मार ली , अस्पताल में हुई मौत@NBTDilli @gulshanNBT @AshishXL pic.twitter.com/KHZwLpOEWc
बताया जा रहा है कि मृतक राम सिंह ने प्रदर्शन के दौरान कुंडली बॉर्डर पर गाड़ी में बैठकर कर पिस्टल से खुद को गोली मारी। जिसके बाद वहाँ मौजूद लोगों ने उन्हें पानीपत के पार्क अस्पताल ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्होंने सुसाइड नोट में किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए किसानों के हक की बात कही है।
संत बाबा राम सिंह हरियाणा एसजीपीसी के नेता थे। पीटीसी न्यूज के अनुसार, सुसाइड नोट में बाबा राम सिंह ने लिखा है कि वे किसानों की हालत नहीं देख सकते हैं। उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार विरोध को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए वे किसानों, बच्चों और महिलाओं को लेकर चिंतित हैं। फिलहाल पुलिस मामले की जाँच में जुटी है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने खुदकुशी पर दुख जाहिर किया है।
दिल बहुत दुखी है आप को ये बताते हुए कि संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली। इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) December 16, 2020
आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती 🙏🏻 pic.twitter.com/DyYyGmWgGg
बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा है, “किसानों का दुख देखा, वो अपने हक लेने के लिए सड़कों पर हैं। बहुत दिल दुखा है। सरकार न्याय नहीं दे रही। जुल्म है, जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है। और उसे बर्दाश्त करना भी पाप है, मैं किसान भाइयों से कहना चाहता हूँ कि मैं इस स्थिति को देख नहीं पा रहा हूँ।”
सुसाइड नोट में आगे लिखा है, “किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ अपने सम्मान लौटाए किसी ने पुरस्कार वापस किया। आज मैं किसानों के हक में और सरकारी जुल्म के रोष में आत्महत्या करता हूँ। यह ज़ुल्म के खिलाफ आवाज है और किसान के हक में आवाज है। वाहेगुरु जी का खालसा ते वाहेगुरु जी की फतेह।”