Sunday, December 22, 2024
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‘इनके चुतड़ा पर कील गाड़नी चाहिए’: बोले हरियाणा के किसान- पंजाब के लोगों ने हमारे बच्चों को बनाया नशेड़ी, दिल्ली में घुसने नहीं देंगे

हरियाणा के किसानों ने पंजाब के किसानों को लेकर गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि पंजाब से आए लोगों ने हरियाणा के युवाओं को उनकी राह से भटका दिया। उन्होंने उन्हें बहकाया और नशे का आदी बना दिया।

किसान आंदोलन 2.0 चर्चा में है। दरअसल, साल 2020 से साल 2021 के आखिर तक दिल्ली में देश भर के किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। करीब डेढ़ तक चले प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार ने तीन कानूनों को वापस ले लिया था। इस दौरान पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिल्ली को लगभग बंधक लिया था। अब उन प्रदर्शनों को दोहराने की कोशिश में पंजाब के किसान फिर से दिल्ली का रूख कर चुके हैं। हरियाणा के बॉर्डर पर पंजाब से आ रहे किसानों को शंभू प्वॉइंट पर रोक लिया गया है। इसके अलावा दिल्ली में उनके घुसने की कोशिशों को विफल किया जा रहा है। इस बीच, केंद्र सरकार पूरी तरह से सक्रिय है और किसानों से लगातार बातचीत कर रही है। वहीं, 20 फरवरी 2024 को एक यू-ट्यूब चैनल से हरियाणा के किसानों ने किसान आंदोलन 1.0 को लेकर गहरी नाराजगी जताई है।

यूट्यूब चैनल न्यूज व्यूज से बातचीत में हरियाणा के किसानों ने पंजाब के किसानों को लेकर गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि पंजाब से आए लोगों ने हरियाणा के युवाओं को उनकी राह से भटका दिया। उन्होंने उन्हें बहकाया और नशे का आदी बना दिया। किसानों ने बताया, “किसान आंदोलन 1.0 से पहले हरियाणा के युवाओं में ‘चित्ता’ का कोई नशा नहीं था। वो जानते भी नहीं थे कि ये आखिर है क्या चीज? हमारे बच्चे उन प्रदर्शनों के दौरान नसे के आदी बन गए। इसके लिए जिम्मेदार कौन है?” जिन्हें नहीं पता, उन्हें बता दें कि हेरोइन के नशे को ‘चित्ता’ कहते हैं, जो पंजाब में काफी गहरे तक जड़ें जमा चुका है।

उन्होंने हमें बेवकूफ बनाया

मीडिया से बातचीत करते हुए हरियाणा के किसाों ने कहा कि ये प्रदर्शन सिर्फ आने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे हैं। उन किसानों में से एक ने कहा, “उन्हें विदेशों से पैसे मिल रहे हैं। देश विरोधी गतिविधियाँ हो रही हैं। लेकिन हम वो सब फिर से नहीं (जो पिछली बार हुआ-नशे का फैलाव इत्यादि) होने देंगे। उन्होंने हमें बेवकूफ बनाया। ऐसे में इस बार हम उन्हें समर्थन नहीं दे रहे।” उन्होंने आगे कहा, “हमने पंजाब में अपने प्रधानमंत्री को खतरे में डाला, लेकिन ऐसा फिर से नहीं होगा।”

हरियाणा के किसानों ने प्रदर्शनकारियों के लगातार दिल्ली जाने की बात पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “सरकार जो कह (सरकार का ऑफर) रही, वो मान नहीं रहे। वो सिर्फ ‘दिल्ली’ ‘दिल्ली’ ‘दिल्ली’ की रट लगाए पड़े हैं।” उन्होंने अन्ना आंदोलन के समय को याद करते हुए आगे कहा, “उस समय जो भी प्रदर्शन वाली जगह जा रहे थे, उनकी जाँच हो रही थी। सबकुछ आराम से चल रहा था। मैं गारंटी लेकर कहता हूँ कि शराब और ड्रग्स की सल्पाई रोक दी जाए, फिर देखो 4 दिन में सारे गायब हो जाएँगे।”

इस दौरान जब पत्रकार ने उसके पूछा कि किसान सरकार से भिड़ने की प्लानिंग कर चुके हैं, वो उन्हें रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेटिंग को उखाड़ने की तैयारी कर चुके हैं, इस पर किसान ने कहा, “अगर कोई देश में अव्यवस्था फैलाना चाहता है, तो सरकार भी कुछ सुरक्षा के कदम उठाती है। अगर उनके लिए रोड खोल दिए जाए, तो वो (प्रदर्शनकारी) उस रोड को जाम कर देंगे और अर्थव्यवस्था को ठप कर देंगे। इस क्षेत्र की हजारों कंपनियाँ ने इस इलाके को छोड़ (पहले किसान आंदोलन के समय) दिया। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। उन (प्रदर्शनकारियों) ने पूरे इलाके को बर्बाद कर दिया। जो कंपनियाँ वापस नहीं आई, जो यहाँ से चली गई। हरियाणा के लोग एक बार फिर से इसके लिए (इन प्रदर्शनों के लिए, नुकसान के लिए) तैयार नहीं हैं।”

हरियाणा के किसान बोले, देश की अर्थव्यवस्था में सभी भागीदार

पत्रकार ने जब किसानों ने बातचीत के दौरान कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान ‘अन्नदाता’ हैं, तो हरियाणा के किसानों ने जवाब में कहा, ‘हर कोई दाता है। ड्राइवर भी दाता है। घर बनाने वाला मजदूर भी दाता है। अर्थव्यवस्था में सभी लोग अहम किरदार निभाते हैं। हर किसी का रोल अलग-अलग है।’ एक किसान ने इंडी गठबंधन की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘विपक्षी गठबंधन और कॉन्ग्रेस ने I.N.D.I.A. नाम रख लिया, इसका मतलब ये नहीं कि वो चुनाव जीत ही जाएँगे।’ किसान ने आगे कहा, “सोचिए, अगर झारखंड देश को कोयला देना बंद कर दे, तो ये तथाकथित ‘पंजाब के अन्नदाता’ अपना कोई काम नहीं कर पाएँगे।”

किसानों ने कहा कि सरकार ने चौथे दौर की वार्ता के बाद एक बेहतरीन प्लान (4 फसलों पर 5 साल के लिए गारंटी) बनाया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उसे नकार दिया। उन्होंने कहा, “वो देश भर में अगले 15 दिनों में अव्यवस्था फैलान चाहते हैं। प्रदर्शन करने वाले लोग पीएम मोदी के खिलाफ माहौल बनाना चाहते हैं। वो सिर्फ वोट काटने आए हैं।” उन्होंने आगे कहा, “पंजाब में जो मजदूर किसानों के खेतों में काम करते हैं, क्या उनके लिए भी इन लोगों (प्रदर्शनकारियों) ने पेंशन की माँग की? ये मामला सिर्फ किसानी का नहीं है। पंजाब में सबसे ज्यादा बंधुआँ मजदूर मिले हैं, उनके लिए क्या माँग कर रहे हैं?”

प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत से जुड़े सवाल पर किसान ने कहा, “हमारे गाँव में भी 4 लोगों की मौत हुई। अगर उनकी जान शराब पीकर या हार्ट अटैक से गई है, तो उन्हें शहीद नहीं कर सकते। एक काम करिए, आप 2 लाख लोगों को इकट्ठा करिए, कम से कम 4 लोग प्राकृतिक तरीके से दम तोड़ देंगे, इसका मतलब ये नहीं है कि उन सभी को शहीद बोला जाए।”

सभी तबकों का ध्यान रखे सरकार

एमएसपी के सवाल पर किसान ने कहा, “सरकार ने फसलों पर एमएसपी दी, जिसकी उसे जरूरत लगी। सरकार को पूरे देश के बारे में सोचना पड़ता है। सरकार को समाज के हर तबके के लिए काम करना पड़ता है। हर सवात किसानों के लिए फायदा चाहता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि समाज के अन्य वर्गों को अनदेखा कर दिया जाए।”

‘प्रधानमंत्री कोई तानाशाह नहीं’

इस दौरान पत्रकार ने जब पूछा कि कॉन्ग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह कहती है, तो किसानों ने कहा, “अगर किसी तरह की तानाशाही होती, तो किसान साल भर से ज्यादा समय नहीं बैठ पाते। लोगों को चौटाला का राज याद है? 50 गोलियाँ और 100 पुलिस वाले किसी भी विरोध प्रदर्शन को खत्म कर देती हैं।” उन्होंने आगे कहा, “अगर पीएम मोदी तानाशाह होते, तो वो उन्हें पंजाब के एक फ्लाइओवर पर नहीं रोक पाते। क्या तुम्हें लगता है कि पीएम मोदी के पास ताकत नहीं है?” किसानों ने आरोप लगाया कि ये प्रदर्शन सिर्फ एक ही परिवार को फायदा पहुँचाने के लिए जुटे हुए हैं, ऐसे लोग भ्रष्टाचारी हैं और भ्रष्टाचार का समर्थन करते हैं।

किसानों ने कहा कि बीजेपी के शासनकाल में जो जिस लायक है, उसे उस तरह का काम मिल रहा है, चाहे वो किसी भी राजनीतिक विचारधारा का है। किसानों ने कहा, “कोई काबिल है, तो उसे काम मिल रहा है। ये सरकार ऐसी नहीं है, जिसमें सिर्फ घूसखोरों को नौकरी मिले।”

राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को न मिले अनुमति

एक किसान ने कहा, “हम किसानों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जो लोग भारत विरोधी नारेबाजी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ा कदम उठाना चाहिए। हमारे सामने कोई खालिस्तानी नारे लगाएगा या हमारे प्रधानमंत्री के लिए अभद्र बातें करेगा, तो हम उसे छोड़ेगे नहीं। राष्ट्र ध्वज और लाल किला हमारे गर्व हैं। हम बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि कोई लाल किले पर जाए और अपनी पसंद का झंडा फहरा आए।” उन किसानों में से एक ने कहा, “हरियाणा के किसान इस बात को समझ चुके हैं कि पंजाब सरकार हमारे साथ धोखा कर रही है। वो हमारा इस्तेमाल कर रही है। वो हमें सामने रखकर सबकुछ करना चाहती है, पता है क्यों? क्योंकि हम लोग इमोशनल हैं।”

किसान आंदोलन 1.0 के दौरान हरियाणा के युवा हुए बर्बाद

किसान ने आगे कहा, ‘मैंने एक लोकल नेता का इंटरव्यू सुना, उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे नशेड़ी बन गए। पिछले प्रदर्शन से पहले कोई भी लड़का ‘चिट्टा’ का नशेड़ी नहीं था। उन्हें तो पता भी नहीं था कि ये होता क्या है? हमारे बच्चे इन प्रदर्शनों के दौरान नशे में डूब घए। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हम उन्हें इसलिए नहीं सपोर्ट कर रहे, क्योंकि हमें अपने बच्चों को नशे से बचाना है। ‘

उन्होंने कहा कि अगर इन प्रदर्शनों के दौरान हरियाणा के किसी युवा की जान जाती है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? “वो लोग तो उसे शहीद बता देंगे, लेकिन किसान घोषित कर देने भर से हम उसे वापस नहीं ला पाएँगे न?” उन्होंने आगे कहा, “प्रदर्शनकारी पेंशन चाहते हैं। वो लोन माफी चाहते हैं। ठीक है, हम ये बात समझते हैं। लेकिन आम नागरिकों पर इसके बदले में जो 14-20 लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा, उसका क्या? हमें लिखित में दें कि टैक्स पेयर्स की पैसों से लोनमाफी नहीं दी जाएगी, फिर उन लोगों को एमएसपी दे दें।”

एक किसान ने कहा, “पिछली बार उन लोगों ने (पंजाब के किसानों ने) कहा था कि वो SYL मुद्दे पर भी बातचीत करेंगे, लेकिन उन्होंने नहीं किया। उन्होंने फिर से प्रदर्शन शुरू कर दिया। पहले वो पानी समझौते के मुद्दे पर बात करें, फिर हम प्रदर्शनों के बारे में बात करेंगे। “

केंद्र सरकार और किसानों के बीच पाँचवें दौर की वार्ता जल्द

बता दें कि किसानों के साथ चौथे दौर की वार्ता में केंद्र सरकार ने रविवार (18 फरवरी 2024) को नए प्रस्ताव दिए थे, जिसके बाद किसानों ने कहा था कि वो बातचीत करके सरकार को सूचित कर देंगे। सरकार ने अपनी तरफ से चौथे दौर की वार्ता के दौरान जो प्रस्ताव दिया था, उसमें एमएसपी पर फसल खरीदने के लिए 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट की बात कही थी। जिसमें ये कॉन्ट्रैक्ट एनसीसीएफ, NAFED और CCI जैसी सहकारी समितियों के साथ होनी थी। इसमें खरीद की लिमिट भी नहीं रहेगी। सरकार ने इसमें उड़द दाल, मसूर दाल और मक्का-कपास को जोड़ने और खरीद के लिए पाँच साल की गारंटी की बात कही थी।

इस बैठक में किसानों के 14 प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल हुए थे। इनके अलावा बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे। हालाँकि बाद में किसानों ने कहा था कि उन्हें एमएसपी से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। सरकार ने एक बार फिर से किसानों को वार्ता के लिए बुलाया है।

मूल रूप से ये खबर अंग्रेजी में लिखी गई है, मूल खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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