वामपंथी अतिवाद के नए झंडाबरदार अनुराग कश्यप ने एक बार फिर प्रोपेगेंडा की कमान संभाल ली है और इस बार निशाने पर अलीगढ़ की मासूम बच्ची की जघन्य हत्या है।
अनुराग कश्यप अपने सेक्युलर कॉमरेड की ही तरह गलतबयानी में लग गए, अनुराग के हिसाब से बच्ची के साथ कुछ ज़्यादा बुरा नहीं हुआ है। उसकी हत्या हुई और अपराधी जेल में हैं; और क्या? यहाँ इतना हल्कापन इसलिए है कि इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड में आरोपित ज़ाहिद, असलम और मेंहदी हसन हैं। चूँकि, ‘डरा हुआ शांतिप्रिय’ नैरेटिव को ठेस न पहुँचे इसलिए पूरे मामले की गंभीरता को ही ख़ारिज करने का प्रयास अनुराग ने किया। यह वही अनुराग हैं जिनकी बेटी पर कुछ दिन पहले किसी सिरफिरे ने मात्र कमेंट कर दिया था। इतने भर से न केवल अनुराग अपनी बेटी की सुरक्षा के प्रति चिंतित हो गए बल्कि उनके लिए आपातकाल से लेकर न जाने कौन सा दौर आ गया।
Entitled Bollywoodia tags PMO when someone threatens his daughter on Instagram. But the 2.5 year old brutalised and murdered should not call for anger of the common man. https://t.co/zly8OBWIYm
— Divya (@divya_16_) June 11, 2019
Murder of a child is as heinous a crime as it can be and there should be action and there was. Criminals were arrested. But taking it further to say there was rape, and dismembering of the body and eyes gouged out which didn’t happen and then creating an atmosphere of riots. No
— Anurag Kashyap (@anuragkashyap72) June 11, 2019
अलीगढ़ में जहाँ बेहद अमानवीय तरीके से एक ढाई साल की बच्ची का क्रूरतम तरीके से हत्या कर दी गई और उसके बलात्कार तक की आशंका व्यक्त की जा रही है। चूँकि, बॉडी बुरी तरह से क्षत विक्षत हो चुकी थी इसलिए पोस्टमॉर्टम में बेशक पुष्टि न हुई हो लेकिन आगे की जाँच के लिए ‘वेजाइनल स्वैब भेजा जा चुका है। शरीर के बुरी से बुरी स्थिति में मिलने के कारण हो सकता है वहाँ भी पुष्टि न हो लेकिन फिर भी पुलिस द्वारा पाक्सो लगाना इस दिशा में एक प्रयास तो है ही। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ही उस नहीं सी जान की हत्या का पूरा डिटेल है। आगे पूछताछ जारी है, फिर भी जिस तरीके से उसके शव के साथ बर्ताव किया गया। क्या वह कम पैशाचिक है?
अलीगढ़ मामले में ही अनुराग जिनके अपराध को डाइल्यूट करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं क्योंकि आरोपित समुदाय विशेष से हैं, उन आरोपितों में से एक असलम तो आदतन अपराधी है। 2014 में उसने अपनी मासूम बेटी का ही रेप किया था और 2017 में भी एक बच्ची के साथ छेड़छाड़ में उस पर मामला दर्ज है। बाकी अलीगढ़ में बच्ची के साथ ये दरिंदे कितनी बर्बरता से पेश आए इसका वर्णन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी है। फिर किस मुँह से अनुराग उस जघन्यता पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं?
वैसे यह नया नहीं है, इससे पहले भी तरुण तेजपाल मामले में वह तेजपाल को बचाने की कोशिश कर चुके हैं। वही तरुण तेजपाल जो अपनी ही एक जूनियर सहकर्मी के साथ छेड़छाड़ के मामले में आरोपित है। खैर, विरोध के नाम पर एन्टी मोदी नैरेटिव को आगे बढ़ाने वाले अनुराग पहले भी कई अन्य प्रकार के झूठ के प्रचार-प्रसार में संलग्न पाए गए हैं। विरोध जब नफ़रत का रूप ले लेती है तो ऐसी ही हरकतें सामने आती हैं जिनका न कोई सर होता है न पैर बस अपनी विरोध की जमीन को बचाए रखने के लिए किसी भी हद तक इनका पूरा गिरोह जा सकता है चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े बस हर हाल में नैरेटिव और प्रोपेगेंडा ज़िंदा रहे।