जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार (7 जून 2024) को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और 77 अन्य आरोपितों के खिलाफ निर्णायक आरोप पत्र दाखिल कर दिया। इस आरोप पत्र में 38 अभ्यर्थियों के नाम भी शामिल हैं। सीबीआई ने अदालत को बताया कि इस मामले में सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी का इंतजार है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरोप पत्र पर विचार के लिए 6 जुलाई 2024 की तारीख तय की है। 29 मई को सीबीआई को निर्देश दिया कि वह नौकरी के लिए जमीन मामले में अपना निर्णायक आरोप पत्र दाखिल करे। कोर्ट ने समय दिए जाने के बावजूद निर्णायक आरोप पत्र दाखिल न किए जाने पर भी नाराजगी जताई थी।
इस मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्य भी आरोपित हैं। नौकरी देने के लिए जमीन लेने के मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव आरोपित हैं। 4 अक्टूबर 2023 को कोर्ट ने कथित नौकरी के लिए जमीन घोटाले मामले में नए आरोप पत्र के संबंध में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और अन्य को जमानत दे दी थी।
सीबीआई के अनुसार, नौकरी के लिए जमीन घोटाले से संबंधित मामले में दूसरी चार्जशीट तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री, उनकी पत्नी, बेटे, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ, निजी व्यक्ति, एक निजी कंपनी आदि सहित 17 आरोपियों के खिलाफ है। इस मामले में सीबीआई ने 18 मई 2022 को मामला दर्ज किया था।
इसमें तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने 2004-2009 की अवधि के दौरान रेलवे के विभिन्न जोनों में ग्रुप ‘डी’ समूह के पदों पर नियुक्ति देने के बदले अपने परिवार के सदस्यों आदि के नाम पर जमीन लेकर आर्थिक लाभ प्राप्त किया था।
आरोप है कि क्षेत्रीय रेलवे में नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस नहीं निकाली गई थी। इसके बादवजूद पटना के निवासी को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में नियुक्ति दी गई। सीबीआई ने कहा कि दिल्ली और बिहार आदि सहित कई स्थानों पर तलाशी ली गई। इसमें नियुक्त किए गए उम्मीदवारों की सूची वाली एक हार्ड डिस्क भी बरामद की गई।
एजेंसी ने कहा कि जाँच के दौरान पाया गया कि तत्कालीन रेल मंत्री ने भूखंडों को अधिग्रहित करने के इरादे से सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के साथ साजिश रची और ग्रुप डी की नौकरी देकर विभिन्न भूमि मालिकों की जमीन हड़पने की योजना बनाई। इसके तहत कई उम्मीदवारों को पहले स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया।