JNU प्रेसिडेंट आइशी घोष सहित 19 के खिलाफ FIR: मारपीट और संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का आरोप

आइशी घोष के खिलाफ FIR दर्ज

दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार और शनिवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन की ओर से शिकायत मिलने के बाद दो एफआईआर दर्ज की हैं। इन एफआईआर में जेएनयू छात्र संघ प्रेसिडेंट आइशी घोष के साथ ही 19 अन्य छात्रों के नाम शामिल हैं। पुलिस जल्द ही इन छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाएगी।

FIR की कॉपी

बता दें कि शुक्रवार और शनिवार (3 और 4 जनवरी को) को भी छात्रों ने जेएनयू परिसर में हंगामा किया था। छात्रों ने सर्वर रूम ठप कर लोगों को बंधक बनाने के साथ संपत्ति को नुकसान पहुँचाया था। जेएनयू प्रशासन ने हंगामा करने वाले इन छात्रों के खिलाफ नामजद शिकायत दी थी।

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पुलिस ने बताया कि हॉस्टल में मारपीट के दौरान जेएनयू प्रशासन की तरफ से पुलिस को पत्र लिखकर परिसर में हो रही हिंसा और कानून व्यवस्था को काबू करने के लिए आग्रह किया गया। इसके बाद पुलिस ने परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाया और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की गई।

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जेएनयू में पिछले कई दिनों से फीस बढ़ोतरी का मुद्दा गर्माया हुआ है। रविवार रात कुछ नकाबपोश बदमाशों ने छात्रों और शिक्षकों को बुरी तरह पीट दिया था और कैंपस में तोड़फोड़ की थी। नकाबपोश गुंडे हाथों में रॉड और डंडे लेकर मारपीट और तोड़फोड़ कर रहे थे। इस मामले में जेएनयू के वामपंथी छात्र संगठन और एबीवीपी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। दोनों ही गुट खुद को पीड़ित बता रहे हैं। हालाँकि कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि जेएनयू छात्र संघ प्रेसिडेंट आइशी घोष नकाबपोश गुंडों को रास्ता दिखाती नजर आ रही हैं।

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जेएनयू में आतंक का ये तांडव लगभग 8 घंटों तक चला। इस दौरान महिला छात्रों को भी नहीं बख्शा गया। रजिस्ट्रेशन कराने गए छात्रों की पिटाई की गई। मीनाक्षी लेखी ने बताया कि महिला छात्रों के प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया गया और साथ ही बाथरूम में ले जाकर भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

एबीवीपी के छात्रों के रूम का गेट तोड़ कर उन पर हमला किया गया। किसी की गर्दन में चोटें आई हैं तो किसी का हाथ टूट गया है। जब कैम्पस में पुलिस पहुँची तो पुलिस के ख़िलाफ़ भी ‘गो बैक’ के नारे लगाए गए। छात्रों को घेर-घेर कर पीटा गया। एबीवीपी की एक छात्रा शाम्भवी की वेशभूषा में एक वामपंथी छात्रा ने हमले किए ताकि इसमें संगठन का नाम बदनाम हो। बाद में पता चला शाम्भवी ख़ुद घायल हुई हैं और वामपंथी गुंडों की पोल खुल गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया