पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम के लुंगलेई और लॉन्गटाई जिलों के जंगलों में बीते 32 घंटे से लगी आग भयावह रूप धारण कर चुकी है। आग इंसानी बस्तियों तक पहुँच गई है।
अधिकारियों के मुताबिक असम राइफल्स, बीएसएफ के जवानों के साथ स्थानीय स्वयंसेवी समूहों के लोग राज्य सरकार के दमकल विभाग के साथ आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।
रविवार की शाम तक आग लगातार जाल रही थी। मिजोरम सरकार की माँग पर भारतीय वायुसेना ने आग बुझाने के लिए दो एमआई -17 वी 5 हेलीकॉप्टरों को तैनात कर दिया है। इसे विशेष बाँबी बाल्टी से लैस किया गया है। इस बात की जानकारी रक्षा मंत्रालय ने दी है।
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— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) April 25, 2021
कथित तौर पर लुंगलेई कस्बे के पास की जंगली पहाड़ियों में शनिवार सुबह 7 बजे आग लगी थी। रविवार तक यह न केवल लुंगलेई टाउन के 10 गाँवों में फैल गई, बल्कि यह पड़ोसी जिले लॉन्गटेई तीन ब्लॉक्स को भी अपनी चपेट में ले लिया।
इस भयावह जंगली आग को लेकर लुंगलेई जिले के कलेक्टर कुलोथुंगन ने कहा, “कल शाम को हमने आग को पूरी तरह से कंट्रोल कर लिया था, लेकिन यह आज सुबह फिर से भड़क गई और अभी भी जल रही है। हम इस पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हवाएँ और सूखी वनस्पतियों के कारण यह तेजी से फैल रही है। इसी कारण यह काफी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।”
मिजोरम डीआईपीआर के द्वारा प्रेस को दिए गए बयान के मुताबिक, लुंगलेई शहर के जोटलंग, सेरकॉन, चनमरी जैसे इलाकों में आग कुछ घरों तक पहुँच गई है। इससे बड़ा नुकसान हो सकता है।
जिलाधिकारी कुलोथुंगन ने कहा, “आग मानव बस्तियों के करीब फैल गई थी, प्रशासन ने लोगों के घरों को खाली करा दिया है। किसी भी व्यक्ति को न तो किसी प्रकार की कोई हानि हुई है और न ही संपत्तियों को नुकसान पहुँचा है।”
हालाँकि, लॉंग्टलाई जिले में आग से जानमाल के नुकसान की खबर सामने आई है। जिले की एडीसी मर्लिन रुलजखुमथंगी ने कहा, “बुंगटलाँग दक्षिण में, आग से 12 घर पूरी तरह से जलकर खाक हो गए हैं, जबकि दो को आंशिक नुकसान हुआ है। अच्छी बात यह रही कि किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन पशुधन की हानि हुई है।” उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने अधिकारियों के साथ ही राहत आपूर्ति को तत्काल गाँव में भेज दिया है।
एडीसी मर्लिन रुलजखुमथंगी ने कहा, “छोटी-मोटी आग अभी भी लगी हुई है। यह माना जा रहा है कि इससे इंसानों के लिए कोई खतरा नहीं होगा, लेकिन इसे खारिज भी नहीं किया जा सकता है। “
With nothing but the unity of the local people to try & douse the deadly wild forest fires in Lunglei town,Mizoram.Pu @narendramodi we have faith your team will come up with an emergency plan for us even during the tough times in the country right now. @blsanthosh @AjayJamwalNE pic.twitter.com/s8g7hplkMv
— MS Tluanga Aizawl (@ms_aizawl) April 25, 2021
डीसी कुलोथुंगन ने कहा कि आग के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। हम शाम तक इसे कंट्रोल कर पाने की उम्मीद कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या यह झूमिग खेती के कारण हो सकता है? इस पर डीसी ने कहा कि वह इस मामले की फिलहाल पुष्टि नहीं कर सकते हैं, क्योंकि अभी इसकी जाँच चल रही है।
फरवरी में मिजोरम के वन अधिकारियों ने कहा था कि राज्य में 2020 में लगभग 1,300 जंगल की आग की सूचना मिली थी, जिसमें से झूम खेती के कारण लगभग 1,090 घटनाएँ हुई थीं। इसके अलावा 210 आग की घटनाएं प्राकृतिक कारणों से हुई थीं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मिजोरम के ग्रामीण इलाके का बड़ा तबका झूम खेती करता है। साथ ही ये लोग स्लेश-एंड-बर्न पद्धति का इस्तेमाल करते हैं। इसमें जमीन के टुकड़े को साफ करके जला दिया जाता है, ताकि जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाए। ऐसे में कई बार हवा के झोंके के कारण आसपास के इलाकों में आग लग जाती है।
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई), देहरादून के अनुसार, पूर्वोत्तर और मध्य भारत के वन जंगल की आग के लिहाज से बहुत ही असुरक्षित हैं। असम, मिजोरम और त्रिपुरा के जंगलों की आग को अत्यधिक खतरनाक माना गया है।
एफएसआई की इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) -2019 के मुताबिक मिजोरम में 85.41 प्रतिशत फॉरेस्ट एरिया है।