Sunday, November 17, 2024
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‘पाकिस्तान में न तो हिंदू लड़कियों को ज्यादा आजादी है और न ही… बेटियों की खातिर भारत आए’

"मुझे और मेरी पत्नी को पहले ही भारतीय नागरिकता मिल गई थी। लेकिन हमारी 11 साल की बेटी प्रियांशी को यह सुविधा नहीं मिली थी। हम इसके लिए वर्षों से इंतजार कर रहे थे। आज जब यह मिली है तो..."

गृह मंत्रालय द्वारा एक्शन लिए जाने के बाद पाकिस्तानी हिंदुओं को वापस पाकिस्तान भेजने का फैसला करने वाली राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार ने 21 पाकिस्तानी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि जिन पाकिस्तानी प्रवासियों को नागरिकता प्रदान की गई है, वो पिछले 19 साल से भारत में रह रहे थे। नागरिकता प्राप्त करने वाले लोगों में एक मासूम बच्ची समेत 21 लोग शामिल हैं। इन्होंने सालों से भारतीय नागरिकता का सपना संजोया हुआ था और अब जब उन्हें ये खुशखबरी मिली है, तो उनकी आँख से आँसू छलक पड़े। इस मौक़े पर हर कोई एक दूसरे से गले लगकर भावुक दिखा तो किसी ने अपने बच्ची को खूब दुलार दिया।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नागरिकता मिलने के बाद इन लोगों ने असल में आजादी के मायने महसूस किए। यही कारण है कि इन्होंने इस दौरान ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदेमातरम’ के नारे भी लगाए।

सबसे पहले दो बहनों -निर्मला और चंद्रा की कहानी। दोनों साल 2000 में पाकिस्तान से टूरिस्ट वीजा लेकर भारत आईं और यहीं बस गईं। हालाँकि कुछ महीने पहले चंद्रा को भारतीय नागरिकता मिल गई थी, लेकिन उनकी सगी बहन निर्मला पर पाकिस्तानी नागरिक की मुहर थी। वे दोनों कई वर्षों से नागरिकता पाने के लिए प्रयासरत थीं। ऐसे में बुधवार को जब निर्मला को नागरिकता का सर्टिफिकेट मिला तो दोनों भावुक हों गई और एक दूसरे को गले लगाया।

इन बहनों के अनुसार, पाकिस्तान में न तो हिंदू लड़कियों को ज्यादा आजादी है और न ही वहाँ पढ़ाई का अच्छा माहौल है। वहाँ खुलकर जिंदगी नहीं जी जा सकती, इसलिए वे बेटियों की परवरिश के लिए भारत आई। उनके मुताबिक आज नागरिकता पाने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे मानों उनका पुनर्जन्म हुआ हो।

इसी प्रकार भीष्म माहेश्वरी अपनी पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के साथ करीब 21 वर्ष पहले भारत आए थे। यहाँ करीब पाँच साल पहले भीष्म माहेश्वरी व उनकी पत्नी को भारतीय नागरिकता मिल गई। लेकिन, 11 साल की उनकी बेटी प्रियांशी को यह सुविधा नहीं मिली। वह इसके लिए वर्षों से इंतजार कर रहे थे। ऐसे में अब जब उन्हें बुधवार को ये खुशी मिली, तो वे और उनकी पत्नी भावुक हो गए और अपनी बेटी प्रियांशी को गोद में उठाकर खूब लाड़ किया।

नागरिकता मिलने वाले लोगों में सांवलदास, उनकी पत्नी सोनिया, छोटा भाई नरेश और सांवलदास के 2 चचेरे भाई (भागचंद व विजय कुमार भी थे। ये पूरा परिवार 18 वर्ष पहले पाकिस्तान में खैरपुर मीरस सिंध से भारत आए थे। यहाँ इन्होंने शुरुआत में पेट पालने के लिए रेडिमेड दुकानों पर नौकरी की और घर का खर्चा चलाया। बुधवार को जब संभाय आयुक्त व जिला कलेक्टर जगरूप यादव ने सांवरदास व उनकी पत्नी सहित 3 भाईयों को नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया तो पूरा परिवार ही खुशी से झूम उठा।

सांवलदास ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कि पाकिस्तान में हालत अच्छे नहीं हैं, इसलिए वे अब पूरे परिवार को भी ले आएँगे। इसके अलावा उनकी पत्नी तो नागरिकता मिलने के बाद भी कई देर तक रोती रहीं।

गौरतलब है कि इस मौक़े पर जयपुर के ज़िला कलेक्टर ने यह भी बताया कि 28 अन्य पाकिस्तानी प्रवासियों ने भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है और उसके लिए प्रक्रिया चल रही है, इसके अलावा 63 अन्य मामलों में भी जाँच हो रही है और जल्द से जल्द उन सभी को भारतीय नागरिकता देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्थान में जयपुर के अलावा जोधपुर और जैसलमेर के ज़िला कलेक्टरों को भी जाँच के बाद पाकिस्तानी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का अधिकार है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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