जम्मू कश्मीर में मुस्लिमों ने एक छात्र पर ईशनिंदा का आरोप लगा कर बवाल काटा है। इतना ही नहीं, पुलिस ने भी उक्त छात्र के खिलाफ गुरुवार (6 जून, 2024) को FIR दर्ज कर लिया। उक्त छात्र श्रीनगर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है और राज्य के बाहर का रहने वाला है। आरोप लगाया गया है कि एक कॉलर एप पर उसने मजहबी रूप से संवेदनशील कंटेंट डाला। श्रीनगर पुलिस ने इसका संज्ञान लिया है। GMC श्रीनगर के उक्त छात्र के खिलाफ मजहबी भावनाओं को ठेस पहुँचाने की धाराएँ लगाई गई हैं।
उक्त छात्र को निलंबित भी कर दिया गया है। बुधवार को उसके खिलाफ जम कर बवाल मचाया गया और विरोध प्रदर्शन हुए। GMC को बयान जारी कर के कहना पड़ा कि उसके खिलाफ जाँच पूरी होने तक उसे त्वरित रूप से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही छात्रों से महाविद्यालय परिसर में शांति बनाए रखने का आग्रह किया गया है। 13 विभागाध्यक्षों (HoD) और 1 HoU को लेकर एक जाँच समिति बनाई गई है। उधर GMC के ‘रेसिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA)’ ने भी छात्र की निंदा करते हुए उसके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री को ईशनिंदा बताया है।
उक्त छात्र अभी सनातन की पढ़ाई कर रहा है। RDA ने GMC को प्रतिष्ठित संस्थान बताते हुए कहा कि यहाँ इस तरह की घटना खेदजनक है। संगठन ने कहा कि ये एक जघन्य अपराध है जो न सिर्फ मजहबी भावनाओं को गंभीर रूप से आहत करता है बल्कि जिस सामाजिक सद्भाव और आपसी सम्मान को हम प्रिय मानते हैं उसके मूल ढाँचे को भी नुकसान पहुँचाता है। संगठन ने कड़ी सज़ा की माँग करते हुए ये सुनिश्चित करने को कहा कि आगे इस तरह की घटना दोबारा न हो।
Protests at Faculty Of veterinary science and Animal husbandry over alleged blasphemy by a GMC Srinagar student. Students demand immediate action to address the issue and maintain communal harmony.#Gmcsrinagar pic.twitter.com/oSFdiL4P41
— قادری (@Qadri90514616) June 6, 2024
RDA ने कठोर कदम उठाए जाने की माँग करते हुए कहा कि इस मामले में आरोपित के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया जाए। बता दें कि सोशल मीडिया मैसेजिंग एप Whatsapp पर ये मामला पैगंबर मुहम्मद के अपमान के आरोप से जुड़ा है। आरोप है कि उन्हें गलत तरीके से प्रदर्शित किया गया। करण नगर में सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम मजहबी नारे लगाते हुए आए। आरोपित राजस्थान का रहने वाला है। मुस्लिमों ने इसे PG मेडिकल की 50% और MBBS की 10% सीटों को ‘ऑल इंडिया कोटा’ के तहत दूसरे राज्यों के छात्रों को आरक्षित किए जाने का दुष्परिणाम बताया।