मार्च में लॉकडाउन घोषित किए जाने से कई एयरलाइंस कंपनियों के विमानों का ऑपरेशन रुका पड़ा हुआ है। ऐसे में लो-कॉस्ट कैरियर गोएयर (GoAir) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने अपने सभी कर्मचारियों की सैलरी को सही समय पर दे पाने में असमर्थता जताई है। काम के बंद होने की वजह से पैसों की कमी की जानकारी देते हुए गोएयर के चेयरमैन नुस्ली वाडिया और एमडी जे वाडिया ने कर्मचारियों को एक संयुक्त पत्र लिखकर यह सूचित किया।
एयरलाइन कंपनी गोएयर ने अपने 40 फीसदी (मतलब 2,500) कर्मचारियों की सैलरी दे दी है। बाकी लोगों की सैलरी वर्ग-विशेष आधार पर या समय-समय (टुकड़ों-टुकड़ों में) के आधार पर देने की बात कही।
कंपनी के पत्र में कहा गया, “सरकार या बैंकिंग प्रणाली के तहत हमें कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। कैश की किल्लत को देखते हुए मार्च और अप्रैल का वेतन देने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं। इस कारण दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद निर्णय लेने के सिवाय कोई चारा नहीं था।”
बिना बुकिंग के टिकट रद्द करने और टिकटों का रिफंड देने के चलते एयरलाइंस कंपनियों पर काफी दबाव है। लिहाजा एयरलाइंस कंपनियाँ कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रही हैं। कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज रही हैं। साथ ही कुछ एयरलाइंस कंपनियों ने विदेशी पायलटों को भी जाने को कह दिया है।
वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसी भी कंपनी है, जो दिमाग से नहीं दिल से कम ले रही हैं। देश की बड़ी ऑटोमेकर कंपनी बजाज ऑटो ने अपने कर्मचारियों को तोहफा देते हुए अप्रैल महीने की सैलरी में कटौती नहीं करने का फैसला किया है। यानी लॉकडाउन की वजह से कर्मचारियों की बढ़ी परेशानियों को देखते हुए कंपनी अप्रैल महीने की पूरी सैलरी देगी।
बता दें कि अप्रैल महीने में लॉक डाउन की वजह से ऑटो सेक्टर में किसी भी तरह की खरीदारी नहीं हुई। जिसकी वजह से इसमें भीषण गिरावट देखने को मिली है। साथ ही घरेलू बाजार में किसी भी तरह की कोई सेल नहीं हुई है। महामारी की वजह सारे वाहनों की बिक्री बिल्कुल ठप रही। यही नहीं मैन्युफैक्चरिंग का काम तो मार्च के आखिरी सप्ताह से ही रुका है।
बजाज कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है, “हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि यह ऐसा समय है, जहाँ हमें दिमाग की जगह दिल से काम करना चाहिए।” लेटर में लिखा है, “हमारे बिजनस की सफलता शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के हर कर्मचारी पर निर्भर करती है। ऐसे में हम इससे पहले कि समाज के बड़े हिस्से को मदद देने के लिए आगे बढ़ें, हम सबसे पहले अपने खुद के लोगों को सुरक्षित करने के लिए बाध्य हैं। जब तक हम मदद करने की स्थिति में रहेंगे, तब तक हमारे अंतिम पायदान के कॉन्ट्रैक्ट वर्कर का एक भी बच्चा भूखे पेट नहीं सोएगा।”
इस बीच देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण शुरू हो गया है। केंद्र सरकार ने ग्रीन जोन में पड़ने वाले मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स और कुछ SEZ में कामकाज शुरू करने की इजाजत दी है।