मंदिरों में दर्शन के दौरान बढ़ती वीआईपी संस्कृति को लेकर मद्रास हाई कोर्ट ने काफी सख्त टिप्पणी की है। हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने कहा है कि केवल भगवान वीआईपी हैं। भक्तों में कोई भेद नहीं है। यदि किसी वीआईपी के दर्शन के लिए आम श्रद्धालुओं को असुविधा होती है तो यह पाप है और इसके लिए भगवान माफ नहीं कर सकते। अदालत ने दर्शन की इस संस्कृति को हताश करने वाला भी बताया।
हाई कोर्ट ने कहा कि वीआईपी प्रवेश केवल उस दायरे में आने वाले व्यक्ति और उनके परिवार के लिए होनी चाहिए। यह उनके रिश्तेदारों के लिए नहीं हो सकती। अदालत ने 23 मार्च 2022 को जारी आदेश में इस संबंध में तमिलनाडु सरकार द्वारा जारी वीआईपी लिस्ट का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिकजस्टिस एसएम सुब्रमण्यम की बेंच ने यह फैसला तूतीकोरिन जिले के तिरुचेंदुर स्थित प्रसिद्ध अरुलमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने कहा, “तमिलनाडु सरकार की VIP लिस्ट जारी हुई है। लेकिन इन VIP लोगों के साथ उनके स्टाफ और गार्ड भी मौजूद रहते हैं। ऐसे में मंदिर प्रशासन यह तय करे कि VIP के साथ मौजूद स्टॉफ सामान्य अथवा शुल्क वाली लाइन में लग कर दर्शन करे। मंदिर प्रशासन यह भी तय करे कि किसी VIP के चलते सामान्य भक्तों को परेशानी न हो।”
अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा, “VIP कल्चर के चलते मंदिरों में लोग परेशान हो चुके हैं। VIP दर्शन केवल सरकार द्वारा निर्धारित लोगों और उनके परिजनों को ही मिलनी चाहिए। कुछ ख़ास लोगों को मिली विशेष सुविधा बाकी लोगों को मिले समानता के अधिकार को बाधित न करे। हर भक्त भगवान का अपनी आस्था के चलते दर्शन करने आता है। किसी भी भक्त को VIP अथवा सामान्य के रूप में बाँटा नहीं जा सकता।”