भाजपा की जीत के ठीक दस दिन बाद अयोध्या में संतों ने राम मंदिर निर्माण को लेकर सोमवार (जून 3, 2019) को मणिराम दास की छावनी में बैठक की। इस बैठक की अध्यक्षता रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास द्वारा की गई। इस दौरान मंदिर बनाने के वैकल्पिक रास्तों पर चर्चा हुई। सभी संतों ने मंदिर के निर्माण में देरी न हो, इसे लेकर एकमत राय दी। बैठक में कहा गया कि ये समय इस विषय पर फैसला लेने का सही समय है, क्योंकि राम के नाम पर ही सरकार बनी है।
अयोध्या में श्री रामजन्म भूमि मंदिर के लिए संतो की बैठक के समक्ष विषय रखते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष माननीय @ChampatRai एवं उपस्थित संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री @SJitendranand
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एवं संत गण।@rahulkanwal @sardanarohit @KapilMishra_IND @ZeeNewsHindi pic.twitter.com/5YPC2SS8b9
इस बैठक में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को 15 जून को होने वाले ‘संत सम्मेलन’ में उठाने का निर्णय लिया गया। साथ ही सलाह दी गई कि जरूरत पड़े तो संतों के प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री से मिलकर इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए। महांत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने इंडियन एक्सप्रेस से हुई बातचीत में बताया है कि चुनाव खत्म हो चुके हैं। राम के नाम पर और राम का नाम लेने से सरकार का भी निर्माण हो चुका है। ऐसे में अब समय आ गया है कि राम के नाम पर काम भी किया जाए।
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बैठक में शामिल हुए विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने संतों को आश्वस्त किया कि अब सब कुछ ठीक चल रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर निर्माण के लिए बहुत ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। जल्द ही भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा।
न्यास के वरिष्ठ सदस्य रामविलास वेदांती ने इस दौरान कहा कि राम मंदिर को लेकर इस वर्ष यह संतों की पहली बैठक है। उनका कहना है कि भगवान राम के आशीर्वाद से ही भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। उनके मुताबिक सरकार पहले चरण में कश्मीर की धारा 370 और 35 ए को खत्म करेगी, इसके बाद राम मंदिर का निर्माण शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाएगा क्योंकि खसरा और खतौनी दोनों ही राम के नाम पर है।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक मणिराम छावनी के महंत कमल नारायण ने इस बैठक के बारे में कहा कि बैठक हालाँकि महंत नृत्य गोपाल दास के जन्मदिवस समारोह के लिए आयोजित हुई थी, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब संत आपस में मिलते हैं तो राम मंदिर का मुद्दा उठता है।