गुजरात के भरूच जिले के हाथीखाना (Hathikhana) बाजार के निवासी गुरुवार (9 दिसंबर, 2021) को ‘महाआरती’ का आयोजन करेंगे। यह आयोजन अशांत क्षेत्र अधिनियम और कुछ लोगों द्वारा इसे दरकिनार कर धोखेबाजी से भवन निर्माण के लिए अनुमति लिए जाने को लेकर किया जा रहा है, ताकि वह इसके प्रति लोगों को जागरुक कर सकें। हिंदू जागरण मंच के सदस्य अशांत क्षेत्र अधिनियम में खामियों का फायदा उठाने और भरूच के सोनी फलिया (Soni Faliyo) इलाके में जनसांख्यिकी परिवर्तन (demography change) को लेकर अधिकारियों के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
हिंदू जागरण मंच ने मंगलवार (7 दिसंबर 2021) को भरूच जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपकर प्रशासन से अशांत क्षेत्र अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील की। ज्ञापन की कॉपी ऑपइंडिया के पास उपलब्ध है। इसमें कहा गया है कि पुराने भरूच क्षेत्र में अशांत क्षेत्र अधिनियम को ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है और कलेक्टर की अनुमति के बिना ही संपत्तियों को बेच दिया गया है। दरअसल, गुजरात के कुछ रिहायशी इलाकों में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू होने के बाद इन क्षेत्रों की भूमि और अन्य अचल संपत्तियों के मालिकों को अपनी संपत्ति को बेचने से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना जरूरी है।
जिला प्रशासन सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखने के लिए एक निश्चित क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर सकता है, जो जनसांख्यिकी परिवर्तन के प्रति अतिसंवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। विक्रेता को आवेदन में यह उल्लेख करना होगा कि वह अपनी मर्जी से संपत्ति बेच रहा है।
ऑपइंडिया ने पहले भी बताया था कि कैसे सोनी फलिया इलाके में हिंदुओं ने अशांत क्षेत्र अधिनियम के उल्लंघन के साथ-साथ जनसांख्यिकी परिवर्तन के विरोध में अपने घरों और मंदिरों पर बिकाऊ है का पोस्टर लगा दिया था। मंगलवार को कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में निवासियों का आरोप है कि बार-बार गुहार लगाने के बाद भी प्रशासन ने अशांत क्षेत्र अधिनियम के उल्लंघन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। इस वजह से सोनी फलिया के निवासियों ने अपनी घर के बाहर ‘बिकाऊ है’ के बोर्ड लगा दिए हैं। इसके बाद भी प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है।
अशांत क्षेत्र अधिनियम के कथित उल्लंघन के दायरे में आने वाली संपत्तियों की बिक्री का पूरा विवरण ज्ञापन में दिया गया है। देवयानी भूपेंद्र दर्जी के घर को जो अशांत क्षेत्र अधिनियम में आता है, उसे पड़ोसियों से बात किए बिना नफीसा शब्बीर मटरवाला को बेच दिया गया था। अधिनियम के अनुसार, संपत्ति की बिक्री से पहले पड़ोसियों के साथ-साथ अन्य लोग, जो क्षेत्र में जनसांख्यिकी परिवर्तन से प्रभावित हो सकते हैं, को सूचित करना और उनकी सहमति लेना आवश्यक है।
अरुणाबेन गणेश सोनी और सिगमवाला के बीच संपत्ति की बिक्री का मामला भी ऐसा ही है। इसके अलावा और भी कई उदाहरण हैं, जिनमें प्रकाश सरदार सोनी ने तसलीम कपाड़िया, जयश्रीबेन रमेशचंद्र इटवाला ने नीलोफर खातून मुनव्वर खान पठान, दिनेशभाई अंबालाल पाटनवाडिया ने दीवान महमूद करीमखान, सुरेशचंद्र त्रिभुवनदास जादव और महेंद्र त्रिभोवनदास जादव ने अब्दुल लतीफ अब्दुल रहीम शेख और चित्राबेन ईश्वरलाल अल्मोला ने मंसूरी जुलेखा मोहम्मद रखी को अपनी संपत्ति बेची, लेकिन अशांत क्षेत्र अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया।
अशांत क्षेत्र अधिनियम की धारा 3 (2) कहता है, किसी क्षेत्र में एक समुदाय की जनसंख्या में तेज वृद्धि और आगे भी इसमें वृद्धि होने का खतरा इसकी वजह से क्षेत्र के अन्य समुदाय अल्पसंख्यक हो जाते हैं और जनसांख्यिकी में बदलाव हो जाता है। इसके बाद एक समुदाय के कुछ सदस्य भय फैलाते रहते हैं। उदाहरण के लिए, मुस्लिम समुदाय के एक सदस्य ने इलाके के एक मंदिर में आरती होने पर आपत्ति जताई है। ज्ञापन में इस संबंध में लिखा गया है कि ‘ए’ डिवीजन पुलिस स्टेशन में इसको लेकर एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।
ज्ञापन में सोनी फालिया के निवासियों को देश के बाहर के मुस्लिम गुंडों द्वारा दी जा रही धमकियों के बारे में भी बताया गया है, जो उन्हें अपने घरों को बेचने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इस संबंध में प्राथमिकी भी दर्ज कर की गई है। इसमें कहा गया है कि सोनी फलिया और अन्य जगहों पर हिंदुओं की जनसंख्या में कमी आई है और यहाँ जनसांख्यिकी परिवर्तन हुआ है। अगर प्रशासन अशांत क्षेत्र अधिनियम के उल्लंघन के इन मामलों पर अपनी आँखें नहीं खोलता है तो हमें इस संबंध में विरोध कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
बता दें कि “हर गुरुवार को, जलाराम बापा मंदिर (Jalaram Bapa Temple) में शाम की आरती होती थी। फिर एक दिन शौकत अली ने मंदिर के ठीक सामने एक घर खरीदा। उसने आरती का विरोध करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे सोसाइटी के 28 घरों को मुसलमानों ने खरीद लिया और अब मंदिर में आरती बंद हो गई है। इतना ही नहीं, मंदिर को अब बेचने की भी तैयारी है।” यह कोई कहानी नहीं है बल्कि भरूच से जुड़ा वह कड़वा सच है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया, “भरूच के कुछ हिस्सों में 2019 में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू किया गया था, लेकिन प्रशासन सहित कुछ लोगों ने इसमें छिपी खामियों का फायदा उठाते हुए कुछ क्षेत्रों में पूरी जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) ही बदल डाला। अब स्थिति यह हो गई है कि हिंदू केवल भरूच के सोनी फलियो (Soni Faliyo) और हाथीखाना (Hathikhana) क्षेत्रों में रह गए हैं।”