गुजरात में द्वारका है। हिंदुओं की मान्यता है कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने इस नगर को बसाया था। यहीं से कुछ दूरी पर बेट द्वारका नाम का द्वीप है। बेट द्वारका वही स्थान है, जहाँ श्री कृष्ण का महल हुआ करता था। इसी बेट द्वारका में गैरकानूनी कब्जे करके लोगों ने मजारें, दरगाहें, गोदाम और रिहाइशी इमारतें खड़ी कर दी थीं। अब इन्हें ढाहा जा रहा है।
2022 के अक्टूबर की शुरुआत से ही गुजरात सरकार ने इन अतिक्रमणों को ढहाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया और लगभग एक लाख वर्ग फुट सरकारी जमीन को कब्जे से मुक्त करा लिया। इस दौरान 100 से ज्यादा अतिक्रमण हटाए गए। इनमें कई मस्जिद, मजारें और इमारतें शामिल थीं।
पिछले दिनों न्यूज़ 18 इंडिया पर एक कार्यक्रम के दौरान गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी से जब इन अवैध मजारों को लेकर प्रश्न किया गया तो उन्होंने साफ कहा, “वह सारी जमीन श्रीकृष्णा की है, वहाँ इस तरह की डुप्लिकेट मज़ार नहीं चलाएँगे।”
‘ श्रीकृष्णा की ज़मीन है भाई वो, वहाँ इस तरह की duplicate मज़ार नहीं चलाएँगे’ @sanghaviharsh pic.twitter.com/Y5P6jpeTX5
— Aman Chopra (@AmanChopra_) November 15, 2022
किसी को नहीं पता कैसे बन गई मस्जिद और मजारें
बेट द्वारका कभी हिन्दू बहुल हुआ करता था। देखते-देखते यहाँ हिन्दुओं का आबादी कम हो गई और मुस्लिम बहुसंख्यक हो गए। फिर शुरु हुई जमीन पर अवैध कब्जे की साज़िश। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक बेट द्वारका में जंगल काटकर समुद्र के किनारे कई मस्जिद और मज़ारें बनाई गईं। उन स्थानों को चुना गया, जो खाली या वीरान थीं। सालों से निवास कर रहे लोगों को भी नहीं पता कि मस्जिद और मजारों को किसने बनाया।
भौगोलिक स्थितियों के कारण बेट द्वारका में गिनती के लोग रहते थे। समुद्र से घिरे होने की वजह से यहाँ पीने के पानी की दिक्कत थी और रोजगार के साधन भी नहीं थे। धीरे-धीरे मछुआरों ने यहाँ रहना शुरू किया, लेकिन मुस्लिमों की बढ़ती आबादी की वजह से हिंदू बेट द्वारका छोड़कर जाने लगे।
बदल चुकी है डेमोग्राफी
इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार बेट द्वारका मंदिर के मुख्य पुजारी का दावा है कि हर साल 5-10 हिन्दू परिवार बेट द्वारका छोड़कर चले जाते हैं। कुछ लोग अवैध कब्जे से परेशान हैं तो कुछ लोग यहाँ चल रही अवैध गतिविधियों से परेशान होकर चले जाते हैं।
भगवान कृष्ण की भूमि बेट द्वारका की डेमोग्राफी पूरी बदल चुकी है। द्वीप पर मुस्लिमों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। राज्य सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान से बेट द्वारका मंदिर के पुजारी बेहद खुश हैं। बेट द्वारका न सिर्फ हिंदू तीर्थ स्थल होने के नाते बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी बहुत संवेदनशील है।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
बेट द्वारका के ज्यादातर लोग मछली का कारोबार करते हैं। लोग बोट से इंटरनेशनल बॉर्डर तक जाते हैं। कितने लोग बॉर्डर की तरफ जा रहे हैं, लौट कर कितने लोग आते हैं, इसका हिसाब रखने वाला कोई नहीं है। यहाँ से कराची की दूरी सिर्फ 105 किलोमीटर के आसपास है।
रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ के लोगों ने पाकिस्तानियों से वैवाहिक संबंध भी स्थापित किए हुए हैं। द्वारका के एक स्थानीय आरएसएस नेता ने दैनिक भास्कर को बताया कि द्वीप पर कुछ घर तो ऐसे बने हुए हैं, जिनमें बोट अंदर तक चली जाती है। इन घरों के बारे में अधिकारियों को भी पता है।
गुजरात हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को लगाई थी फटकार
बेट द्वारका की डेमोग्राफी बदल रही, हिंदू अपने घर छोड़ कर जा रहे। ऊपर से रही सही कसर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पूरी कर दी। पिछले दिनों बेट द्वारका द्वीप पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा कर दिया। मामला गुजरात हाई कोर्ट पहुँचा। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से पूछा कि श्री कृष्ण की नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं? और फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी थी।