गुजरात दंगों के मामले में कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) और आरबी श्रीकुमार (RB Sreekumar) के बाद पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट (Sanjiv Bhatt) को गिरफ्तार किया गया है। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की टीम ने लंबे समय से पालनपुर जेल में बंद संजीव भट्ट को मंगलवार (12 जुलाई 2022) को धन के गबन और जाली दस्तावेजों के आरोप में गिरफ्तार किया। संजीव भट्ट बनासकांठा जिले के पालनपुर जेल में हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आरबी श्रीकुमार, संजीव भट्ट और तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी।
In the Gujarat riots case, the Crime Branch has arrested one more person for embezzling funds and forging documents. Former IPS Sanjiv Bhatt has been arrested on a transfer warrant. Crime Branch has taken over Sanjiv Bhatt from Banaskantha jail.
— ANI (@ANI) July 12, 2022
2002 में हुए गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद 25 जून 2022 को आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) ने तीस्ता सीतलवाड़ को मुंबई के जुहू स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद इस मामले में पूर्व IPS अधिकारी आरबी श्रीकुमार (RB Sreekumar) को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था। इनके ऊपर दंगों के दौरान गुजरात की छवि खराब करने का आरोप है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने की SIT रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने स्वार्थ सिद्ध करने में जुटी रहीं। उनकी भूमिका पर और छानबीन की जरूरत है। अदालत ने संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार की ओर से झूठा हलफनामा दायर किए जाने का भी जिक्र किया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ ने गुजरात दंगों में फर्जी जानकारी फैलाने का काम किया था।
बता दें कि गुजरात दंगों में मारे गए सांसद एहसान जाफरी की बीवी जाकिया जाफरी को चेहरा बनाकर एक पूरा का पूरा गिरोह पिछले 2 दशक से इस मामले को हवा देने में लगा हुआ था। मुद्दे को गर्म रखने के लिए इन लोगों ने जान-बूझकर कुटिल चाल चली, जिससे इनकी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं, ऐसा कहते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने ऐसा करने वाले लोगों को जाँच के बाद न्याय के दायरे में लाने की सलाह दी थी।
गौरतलब है कि गुजरात दंगों को लेकर अफवाह फैलाने और झूठे खुलासे करने वाले इन तीनों के खिलाफ IPC की धारा-478, 471 (लोगों को भड़काने के लिए इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का कपटपूर्ण इस्तेमाल), 194 (किसी को दोषी साबित करने के लिए झूठे साक्ष्य गढ़ना), 211 (किसी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने की मंशा से झूठे आरोप लगाना), 218 (लोक सेवकों द्वारा रिकार्ड्स को गलत तरीके से फ्रेम करना) और 120B के तहत मामला दर्ज किया गया है।