Monday, December 23, 2024
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हाथरस मामले में सवर्ण समाज के दो दर्जन से अधिक गाँवों की पंचायत: नार्को टेस्ट कराने की माँग, आरोपितों के निर्दोष होने पर बरी करने की अपील

वीडियो में सभा की भीड़ में यह कहते हुए सुना जा सकता है, "एफएसएल रिपोर्ट कहती है कि बलात्कार नहीं था लेकिन राजनेताओं और मीडिया का दावा था कि बलात्कार हुआ था।" सभा के एक नेता का कहना है कि मामले में निष्पक्ष जाँच की जानी चाहिए और यदि कोई भी आरोपित दोषी नहीं पाया जाता है, तो उन्हें बिना जमानत दिए छोड़ दिया जाना चाहिए।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में उत्तर प्रदेश में ठाकुर समुदाय के सदस्यों को हाथरस मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी पर पीड़ा व्यक्त करते हुए सुना जा सकता है। साथ ही वे यह दावा भी कर रहे है कि अभियुक्तों को झूठे मामले में झूठा फँसाया जा रहा है। इस सभा का आयोजन शुक्रवार को दो दर्जन से अधिक गाँवों के सवर्ण समाज द्वारा किया गया था।

वीडियो में सभा की भीड़ में यह कहते हुए सुना जा सकता है, “एफएसएल रिपोर्ट कहती है कि बलात्कार नहीं था लेकिन राजनेताओं और मीडिया का दावा था कि बलात्कार हुआ था।” सभा के एक नेता का कहना है कि मामले में निष्पक्ष जाँच की जानी चाहिए और यदि कोई भी आरोपित दोषी नहीं पाया जाता है, तो उन्हें बिना जमानत दिए छोड़ दिया जाना चाहिए। उनका का कहना है कि समुदाय की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।

सभा को संबोधित करते हुए व्यक्ति यह भी कहता है कि कोई भी उपद्रव नहीं करेगा और किसी भी तरह की गुंडागर्दी का सहारा नहीं लेना है। साथ ही व्यक्ति ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी राजनीतिक दल उनके बीच नहीं आना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि हर किसी ने उनके बच्चों और उनके समुदाय की थूं-थूं की है और इसकी वजह से उनकी भावनाओं को ठेस पहुँची है। वे कहते है, “केवल राजनीतिक दलों का विरोध करते हैं, बाकी खुद वो समस्या को हल कर लेंगे।”

पंचायत ने सभी आरोपितों का नार्को टेस्ट कराने का भी समर्थन किया है। इस बीच जागरण की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि हाथरस मामला शुरू में हत्या के प्रयास से संबंधित था। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआत में मृतक के भाई ने केवल हत्या के प्रयास से संबंधित मामला दर्ज करवाया था और प्रारंभिक शिकायत में बलात्कार का आरोप नहीं लगाया गया था।

जागरण रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, शुरू के 5 दिनों तक कोई अन्य शिकायत नहीं की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कहानी में पहला मोड़ 19 सितंबर को कुछ नेताओं द्वारा पीड़िता से मिलने के बाद आया। जिसके बाद पीड़िता द्वारा शिकायत में छेड़छाड़ का आरोप जोड़ा गया था। फिर 22 सितंबर को आरोपों में बलात्कार का मामला जोड़ा गया। साथ भी तीन अन्य नाम भी आरोपितों की सूची में डाले गए। बताया जा रहा है कि कॉन्ग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने 19 सितंबर को पीड़ित से मुलाकात की थी।

गौरतलब है कि मेडिकल रिपोर्ट ने भी बलात्कार से इंकार किया है। इसके अलावा जागरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व राज्य सचिव श्योराज जीवन द्वारा पीड़ित परिवार और पीड़िता से मिलने के बाद कहानी में बदलाव आना शुरू हुआ था। वहीं कॉन्ग्रेस नेता का एक बयान भी वायरल हो रहा जिसमें कहा गया था, “हमारी बेटी ने अपना सम्मान बचाया है, लेकिन पापियों ने उसकी जीभ काट दी है, उसकी रीढ़ टूट गई है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले का राजनीतिकरण होने के बाद छेड़छाड़ और बलात्कार के आरोप जोड़े गए। जिसके बाद पुलिस ने मामले में प्रासंगिक धाराएँ जोड़ते हुए चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं इन आरोपितों के परिवारवालों ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने दावा किया है कि आरोप झूठे हैं और पीड़ित परिवार के साथ एक पुराने पारिवारिक झगड़े से प्रेरित हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हाथरस की कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत हो गई थी। जिसके बाद से ही मामले में सभी विपक्षी पार्टियों को अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने का मौका मिल गया है। खबरों के अनुसार, उसके साथ दो सप्ताह पहले कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। वहीं लोगों का गुस्सा तब और भड़क गया जब सोशल मीडिया पर यह भ्रामक खबर चलाई गई कि हाथरस पुलिस ने परिवार के सदस्यों की सहमति के बिना लड़की का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। हालाँकि, पुलिस ने बाद में खबरों को खरिज करते हुए कहा था कि दाह संस्कार के दौरान मृतका के पिता मौजूद थे।

एडीजी प्रशांत कुमार ने एएनआई से बात करते हुए बताया था कि फोरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक़ लड़की के साथ बलात्कार की घटना नहीं हुई थी। पीड़िता के साथ किसी भी तरह का यौन शोषण नहीं हुआ था। मौत का कारण गला दबाना और रीढ़ की हड्डी में लगी चोटें थीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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