दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार (सितंबर 2, 2019) को उन्नाव रेप पीड़िता के वकील को नोटिस जारी किया। इसमें वकील से पूछा गया है कि सुनवाई के दौरान बार-बार हस्तक्षेप करके न्यायिक कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।
दरअसल, कोर्ट यूपी के कांस्टेबल आमिर खान की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो कि न्यायिक हिरासत में है। उसके खिलाफ उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हिरासत में हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप हैं। उन्होंने इसी संदर्भ में याचिका दायर करते हुए आरोपों को रद्द करने की माँग की है। वकील डीके मिश्रा पर आरोप है कि वो याचिकाकर्ता आमिर की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे थे, ताकि आमिर पर पीड़िता के पिता की कथित हत्या के लिए आरोप तय किए जा सके।
हालाँकि, वकील मिश्रा ने दावा किया कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिसके कारण उनके खिलाफ बताओ नोटिस जारी किया जा सके। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी एक शिकायत पेंडिंग है और इसी आधार पर वे जस्टिस सुरेश कुमार कैत से गुहार लगा रहे थे। साथ ही मिश्रा ने कथित तौर पर जज पर असभ्य भाषा बोलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जज ने भरी अदालत में उनके लिए असभ्य भाषा का इस्तेमाल करते हुए अवमानना का आदेश पारित कर दिया।
बता दें कि, आमिर खान द्वारा दायर किए गए इस याचिका में कहा गया है कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान ट्रायल जज ने स्वीकार किया कि पीड़िता के पिता के साथ मारपीट या पिटाई की साजिश में याचिकाकर्ता की कोई भूमिका नहीं है। इसलिए हत्या के लिए याचिकाकर्ता (खान) सहित पुलिस अधिकारियों को उत्तरदायी बनाना गैरकानूनी है। फिलहाल कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 5 सितंबर का वक्त तय किया है।
वहीं, जाँच एजेंसी सीबीआई ने सोमवार को पीड़िता का बयान भी दर्ज किया है। फिलहाल, पीड़िता की हालत में सुधार बताया जा रहा है। उसे आईसीयू से निकाल कर वार्ड में शिफ्ट किया गया है।