मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कोरोना काल के दौरान अपने माँ-बाप से बिछड़े तीन हिन्दू बच्चों का धर्म परिवर्तन (Religious Conversion) कराकर मुस्लिम (Muslim) बनाने का मामला सामने आया था। तीनों बच्चे रायसेन के शिशु गृह में रह रहे थे।
इस शिकायत पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो (Priyank Kanoongo) ने शिशु गृह का निरीक्षण किया था और कार्रवाई की बात कही थी। अब सुखद खबर यह है कि तीनों बच्चे सकुशल दमोह अपने घर पहुँच गए हैं। खुद प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर यह जानकारी दी।
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— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) November 17, 2022
ये तीनों बच्चे अपने पिता के पास दमोह वापिस आ गए हैं । https://t.co/Xaa6tQjb7d pic.twitter.com/RP8NpIvU0L
तीनों बच्चे बुधवार (16 नवंबर 2022) की रात दमोह पहुँचे। यहाँ मौजूद बजरंग दल (Bajrang Dal) के कार्यकर्ताओं ने शिव मंदिर में पूरे हिंदू रीति रिवाज से इन बच्चों की घर वापसी कराई। मालूम हो कि साल 2020 में कोरोना महामारी के समय में लॉकडाउन के दौरान भोपाल के मंडीदीप में गार्ड की नौकरी करने वाले पिता से तीनों बच्चे बिछड़ गए थे।
हिन्दू बच्चों के नाम बदलकर शाहरुख, सुहाना और रुखसाना रखें
यहाँ पर बच्चों के नाम बदलकर शाहरुख, सुहाना और रुखसाना रख दिए गए थे। इतना ही नहीं, इनके आधार कार्ड भी इसी नाम से बनवा दिए गए थे। बच्चे जब इस शिशु गृह में गए थे तो इनके हिंदू नाम थे। शिशु गृह में पहुँचते ही वहाँ के संचालक हसीन परवेज ने इन बच्चों के नाम बदल दिए।
परवेज की इस करतूत का संज्ञान शनिवार (12 नवंबर 2022) को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने लिया था और जिला प्रशासन को शिशु गृह संचालक के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, घटना गौहरगंज इलाके की है। तीनों बच्चे नाबालिग हैं, जिनकी उम्र 4, 6 और 8 साल है। दमोह के ये बच्चे हिन्दू धर्म के OBC वर्ग से हैं। तीनों साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में मंडीदीप क्षेत्र में अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे।
उस समय भोपाल बाल कल्याण समिति नाम की संस्था ने इन बच्चों को रायसेन बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया था। बाद में रायसेन बाल कल्याण समिति ने इन्हें गौहरगंज के शिशु गृह में भेज दिया था। इस वजह से ये भाई-बहन 3 साल से हसीन परवेज द्वारा चलाए जा रहे बाल शिशु गृह में रह रहे थे।
हसीन परवेज के करतूतों की पोल तब खुली, जब राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो खुद इस शिशु गृह की जाँच के लिए गए थे। उन्हें किसी के द्वारा मौखिक रूप से परवेज की हरकत की शिकायत मिली थी।