उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में रविवार (13 अक्टूबर 2024) को मुस्लिम भीड़ ने रामगोपाल मिश्रा की हत्या कर दी थी। इसी भीड़ ने विसर्जन के लिए जा रही माँ दुर्गा की प्रतिमाओं को भी तोड़ा था जिसका विरोध करते हुए कई श्रद्धालु घायल हो गए थे। इस हिन्दू विरोधी हिंसा के बाद हिंसक भीड़ ने विक्टिम कार्ड को आगे किया और वामपंथी वर्ग ने मुस्लिम समुदाय को ही पीड़ित साबित करना शुरू कर दिया। ऑपइंडिया की पड़ताल में सामने आया कि हिंसा का असल पीड़ित हिन्दू है। दावा यह भी किया गया कि श्रद्धालुओं पर हमले के लिए मस्जिद से उकसाया गया। हालाँकि बहराइच प्रशासन कई चश्मदीदों के इस दावे को नकारता रहा।
यह हिंसा बहराइच के हरदी थानाक्षेत्र में पड़ने वाले महराजगंज बाजार में हुई थी। इसी हिंसा के एक चश्मदीद मारुति नंदन त्रिपाठी ने ऑपइंडिया से बात की। मारुति ने बताया कि जब हिंसा की शुरुआत हुई तब वो घटनास्थल से लगभग 1 किलोमीटर दूर विसर्जन स्थल पर लगा मेला देख रहे थे। फोन पर हमले की सूचना मिलते ही वो महराजगंज बाजार पहुँचे। तब आक्रोशित हिन्दू पुलिस प्रशासन से मूर्ति पर पथराव करने और जबरन DJ बंद करवाने वालों पर कार्रवाई की माँग कर रहे थे।
मारुति नंदन बताते हैं कि श्रद्धालुओं की शिकायत पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा था जिससे तनाव बढ़ता जा रहा था। धरने के दौरान हिन्दुओं पर पुलिस की मौजूदगी में फिर पथराव हुआ जिससे कुछ लोगों ने अब्दुल हमीद के घर के टिन शेड को पीटना शुरू कर दिया। तभी रामगोपाल मिश्रा को गुस्सा आया और वो अब्दुल हमीद की छत पर चला गया। यहाँ हरा झंडा निकालने के दौरान उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई।
पहले मुस्लिमों ने उखाड़ा था हिन्दुओं का झंडा
मारुति नंदन त्रिपाठी दावा करते हैं कि पत्थरबाजी और दुर्गा प्रतिमाओं पर हमले के अलावा मुस्लिमों ने रास्ते में लगे हिन्दुओं के ध्वजों को उखाड़ा था। कुछ लोग रामगोपाल का अचेत शरीर लेकर नीचे आ रहे थे तब फिर गोलियाँ चलाई गईं जिसका वीडियो भी मौजूद है। घायल रामगोपाल को अस्पताल ले जाने के लिए भी कोई गाड़ी नहीं मिली। एक ई रिक्शा से उनको कुछ लोग लेकर जा रहे थे तभी आधे रास्ते में उसकी बैट्री खत्म हो गई। यहाँ से बचा रास्ता बाइक से तय किया गया। अस्पताल में रामगोपाल को मृत घोषित कर दिया गया।
ज्यादातर श्रद्धालु मूर्ति छोड़ कर रामगोपाल मिश्रा के साथ अस्पताल चले गए। बचे-खुचे हिन्दुओं पर प्रशासन ने लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज से मची भगदड़ का फायदा मुस्लिम भीड़ ने उठाया। मारुति नंदन आगे बताते हैं कि कई मुस्लिमों ने अपने घरों से बाहर निकल कर मार्ग में खड़ी प्रतिमाओं को तोड़ डाला। वहीं कई लोगों ने झुंड बनाकर श्रद्धालुओं पर हमला किया। पुलिस के ही लाठीचार्ज का फायदा उठा कर एक मुस्लिम भीड़ ने श्रद्धालुओं कर काफी दूर तक दौड़ाया।
मस्जिद से मिला था हमले का फरमान
घटनास्थल पर मौजूद मस्जिद को लेकर मारुति नंदन त्रिपाठी का भी आरोप बहराइच पुलिस के दावों के ठीक विपरीत है। मारुति नंदन बताते हैं कि माँ दुर्गा के भक्तों पर हमले के लिए मस्जिद से उकसाया गया था। मारुति नंदन के मुताबिक जब रामगोपाल अब्दुल हमीद की छत पर चढ़े तब तब मस्जिद के माइक से बोला गया, “सब लोग इकट्ठा हो जाओ। जाने नहीं देना है। मारो।” इसके बाद निकली हिंसक भीड़ में बच्चों से ले कर बूढ़े तक शामिल थे।
चश्मदीद मारुति नंदन हमें आगे बताते हैं कि उन्होंने मुस्लिमों की ज्यादातर भीड़ छतों पर भी देखी। वो पत्थर और बोतलें चला रहे थे। जिस भी मुस्लिम के दरवाजे पर विसर्जन यात्रा में जा रही कोई भी गाड़ी खड़ी थी उसको उन्होंने घरों से निकल कर तोड़ डाला। ऐसे घरों कोई कार्रवाई के लिए नोटिस मिलना उचित मानते हुए मारुति नंदन ने इसे डेढ़ साल पहले की पेंडिंग कार्रवाई बताया है। मारुति नंदन मानते हैं कि क्षेत्र के विकास के लिए सड़क चौड़ी होना जरूरी है।
हमें नहीं पता कि हमारी प्रतिमाओं का क्या हुआ
हमसे बात करते हुए मारुति नंदन त्रिपाठी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि उन्हें पता ही नहीं है कि अपनी आराध्या माँ दुर्गा की जिन प्रतिमाओं को वो भक्ति भाव से विसर्जित करने जा रहे थे, हमले के बाद उनका हुआ क्या। वह दावा करते हैं कि ऐसी आधे दर्जन से अधिक मूर्तियाँ थीं जो मुस्लिम भीड़ के हमले की वजह से बीच रास्ते में ही फँस गई थी। तब पुलिस के लाठीचार्ज की वजह से श्रद्धालु वहाँ से भाग निकले थे। बाद में उन प्रतिमाओं का क्या हुआ इसकी जानकारी मारुति नंदन को नहीं है।
अपने इसी बयान में मारुति नंदन आगे बताते हैं कि उनको सुनाई दिया था कि बाद में प्रशासन ने माँ दुर्गा की प्रतिमाओं को विसर्जित करवाया था। हालाँकि अपनी धार्मिक भावनाओं पर इस प्रकार के आघात से मारुति नंदन काफी आहत थे। उन्होंने 2 आरोपितों के एनकाउंटर में पैर पर गोली लगने की कार्रवाई पर भी असंतोष जताया और उसे घटना के हिसाब से नाकाफी बताया। मारुति नंदन ने सरकार से माँग की है कि वो रामगोपाल मिश्रा के परिवार पर ध्यान दे।
दुकान बस दिखावा, असल काम सीमा पार तस्करी
महराजगंज हिंसा का मुख्य आरोपित अब्दुल हमीद और उनका परिवार है। अब्दुल हमीद दिखावे के तौर पर सर्राफे का काम करता है लेकिन मारुति नंदन इसे महज हाथी का दिखाने वाला दाँत मानते हैं। मारुति नंदन का दावा है कि अब्दुल हमीद का परिवार नेपाल सीमा से तस्करी जैसे अपराधों में लम्बे समय से संलिप्त है। उसके बड़े बेटे पिंटू का जिक्र करते हुए मारुति नंदन बताते हैं कि उसे पकड़ने के लिए नेपाल से कई बार पुलिस आ चुकी है।
मारुति नंदन आगे बताते हैं कि रामगोपाल को गोली मारने वाला सरफराज भी महराजगंज व आसपास अक्सर गुंडागर्दी किया करता था। नेपाल सीमा से इस पूरे परिवार पर मूल रूप से हथियारों की तस्करी का आरोप है। मारुति नंदन का दावा है कि सर्राफे की दुकान से वो सिस्टम नहीं बन सकता जो अब्दुल हमीद ने बना रखा है।
हिन्दू ने ही खाई लाठी और गोली, उधर से किसी को खरोंच भी नहीं
रविवार (13 अक्टूबर) की घटना को मारुति नंदन त्रिपाठी पूरी तरह से एकतरफा बताते हैं। उनका दावा है कि हिंसा के दौरान मुस्लिम भीड़ और पुलिस बल दोनों ने मिल कर श्रद्धालुओं पर हमला किया। पुलिस जहाँ लाठियाँ बरसा रही थी तो मुस्लिम भीड़ पत्थर, बोतलें और गोलियाँ। हिंसा की वजह से आधे दर्जन से अधिक घायल व एक मृतक भी हिन्दू समुदाय से ही होने की बात हमें मारुति नंदन ने बताई। उनका दावा है कि किसी एक मुस्लिम को खरोंच भी नहीं आई क्योंकि पुलिस ने सारा जोर केवल श्रद्धालुओं पर दिखाया।
ऑपइंडिया ने मारुति नंदन के इन दावों की पड़ताल का फैसला किया। हम 13 अक्टूबर की ही हिंसा से प्रभावित एक अन्य गाँव नथुआपुर पहुँचे जो महराजगंज से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर हमें हिन्दू बहुल गाँव में मौजूद मुस्लिम परिवार अपने घरों के बाहर आराम से बैठ कर बातचीत करता दिखा। इसी दौरान हमें मोहम्मद कलीम मिले जिन्होंने अवधी भाषा में बताया, “हमका तो कोई परेशानी नाहीं है। मारिस-पीटिस कोई नाहीं।” (हमको कोई दिक्कत नहीं है। किसी ने मुझे नहीं मारा-पीटा)।