उत्तर प्रदेश के मथुरा की अदालत में विवादित शाही ईदगाह मस्जिद में होने वाली नमाज के विरोध में याचिका दाखिल करते हुए उस पर लगाने की माँग की गई गई है। ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के परिसर में स्थित है। इसके साथ ही ईदगाह मस्जिद के बगल से जाने वाली सड़क पर भी नमाज पढ़ने से रोकने की माँग की गई है। याचिकाकर्ता एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह हैं, जो कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति के अध्यक्ष भी हैं।
इस याचिका के मुताबिक, “कुरान में भी विवादित भूमि पर नमाज़ पढ़ने से मनाही है। यहाँ 5 बार की नमाज़ पिछले कुछ समय से ही शुरू हुई, जो कि गैर-कानूनी है। पहले ईदगाह मस्जिद में नमाज नहीं होती थी। विरोधी पक्ष अब सड़क पर भी नमाज़ अदा कर रहा है। यह सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने की साजिश है।” याचिका में वर्ष 1920 में चले एक मुकदमे का हवाला भी दिया गया है, जिसमें न्यायालय ने स्पष्ट रूप से इस भूमि को हिन्दुओं की बताई गई है।
याचिका में इतिहास का भी जिक्र किया गया है। अर्जी के मुताबिक, “अभी भी ईदगाह मस्जिद की दिवारों पर ॐ, शेषनाग, स्वास्तिक जैसे हिंदुओं के धार्मिक चिह्न मौजूद हैं। साल 1669 में इसे क्रूर आक्रांता औरंगजेब ने उक्त संपत्ति पर बने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाया था। जिस स्थान पर मस्जिद बनाई गई थी, वह स्थल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का मूल स्थल है जो कि गर्भगृह के नाम से जाना जाता है।” लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने याचिका में आगे कहा है, “हमने मथुरा की अदालत में विवादित भूमि पर नमाज पढ़ने से मना करने की अर्जी दी है। पहले यही माँग हम जिलाधिकारी से भी कर चुके हैं।”
जानकारी के मुताबिक़, अदालत इस पर 5 जनवरी 2022 को सुनवाई कर सकती है। इससे पहले इसी वर्ष जून में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति ने इस मामले का शांतिपूर्ण हल निकालने का प्रयास किया था। इस समाधान के फॉर्मूले में वर्तमान विवादित स्थल से बड़ा स्थान उन्हें कहीं और देने की पेशकश की गई थी। यह फॉर्मूला अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि विवाद के समाधान से मिलता-जुलता था। इस फॉर्मूले की शर्त यह भी थी कि मुस्लिम पक्ष को विवादित ढाँचा खुद से गिराना होगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था कि अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है और अब मथुरा की तैयारी है। ट्विटर पर उन्होंने इसके साथ ही ‘जय श्रीराम’, ‘जय शिव शम्भू’ और ‘जय श्री राधे-कृष्ण’ का टैग भी लगाया था।