Monday, November 18, 2024
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उमर खालिद और शरजील इमाम पर चलेगा UAPA के तहत मुकदमा: गृह मंत्रालय ने दिया ग्रीन सिग्नल

कुछ महीनों पहले ही उमर खालिद पर फरवरी के दौरान राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में दंगों का षड्यंत्र रचने, भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था। इन आरोपों की जाँच होने के बाद उमर खालिद को यूएपीए अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों और हिंसा को लेकर गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। ऐलान के मुताबिक़ जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरलीज इमाम पर गैर कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने को हरी झंडी दिखा दी गई है। यानी उमर खालिद और शरजील इमाम दोनों पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज करके आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। 

कुछ महीनों पहले ही उमर खालिद पर फरवरी के दौरान राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में दंगों का षड्यंत्र रचने, भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था। इन आरोपों की जाँच होने के बाद उमर खालिद को यूएपीए अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। 

क़ानूनी प्रक्रिया को मद्देनज़र रखते हुए किसी भी व्यक्ति पर यूएपीए के तहत मामला चलाने के लिए गृह मंत्रालय की स्वीकृति अनिवार्य होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गृह मंत्रालय ने लगभग एक हफ्ते पहले इस पर स्वीकृति जारी की थी। बहुत जल्द दिल्ली पुलिस उमर खालिद और शरजील इमाम के विरुद्ध अदालत में चार्जशीट दायर करने जा रही है। 

इसके अलावा कड़कड़डूमा अदालत ने उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 20 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 30 दिन तक बढ़ाने के लिए अर्जी लगाई थी। उमर खालिद के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि वह पुलिस को जाँच के दौरान पूरा सहयोग प्रदान कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में दिल्ली पुलिस की तरफ से इस तरह का आरोप लगाना कि उमर पुलिस की जाँच प्रक्रिया में सहयोग नहीं कर रहा है, यह आरोप निराधार है। उमर की न्यायिक हिरासत बढ़ाने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई गई अर्जी सरासर गलत है। 

वहीं दिल्ली पुलिस ने भी इस पूरे प्रकरण पर अपना पक्ष रखा था। दिल्ली पुलिस का कड़कड़डूमा अदालत के समक्ष कहना था कि मामले की जाँच हो रही है इस बात को मद्देनज़र रखते हुए उमर खालिद को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 20 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी है। फ़िलहाल उमर खालिद न्यायिक हिरासत में ही है और पुलिस इस मामले से जुड़े अहम पहलुओं की जाँच कर रही है। 

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने रविवार (13 सितंबर 2020) को गिरफ्तार किया था। फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोध के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में दंगे हुए थे और उमर खालिद पर उन दंगों का षड्यंत्र रचने का आरोप है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने उमर खालिद पर गैर क़ानूनी गतिविधि (नियंत्रण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था। 

वहीं शरजील इमाम ने पिछले साल सीएए विरोधी प्रोटेस्ट के दौरान भड़काऊ बयान देकर असम को भारत से अलग करने की बात की थी। मामला तूल पकड़ने के बाद शरजील ने कई दिनों तक पुलिस से बचने का प्रयास किया। मगर बाद में उसकी गिरफ्तारी बिहार के जहानाबाद से हुई थी। पूछताछ में पता चला था कि शरजील भारत को इस्लामिक मुल्क बनाना चाहता था। अपने इस काम के लिए उसने मस्जिदों में भड़काऊ पर्चे बँटवाए थे।

अपने घृणित विवादित बयान शरजील इमाम ने कहा था, “हमारे पास संगठित लोग हों तो हम असम से हिंदुस्तान को हमेशा के लिए अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो एक-दो महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से कट कर ही सकते हैं। रेलवे ट्रैक पर इतना मलबा डालो कि उनको एक महीना हटाने में लगेगा… जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से। असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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