उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जंक्शन पर मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। बाल श्रम व अन्य अवैध कार्यों के लिए मानव तस्करी की जा रही थी। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के NGO ‘बचपन बचाओ’ की सूचना के बाद GRP (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) ने 8 आरोपितों को गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से कई बच्चों को छुड़ाया। कुल 33 बच्चों को छुड़ाया था। बिहार के बच्चों को ये तस्कर दिल्ली और पंजाब लेकर जा रहे थे।
पुलिस ने इन बच्चों को रेस्क्यू कर के उन्हें चाइल्ड लाइन को सौंप दिया और आरोपितों से पूछताछ की गई। NGO के स्टेट कोऑर्डिनेटर सूर्य प्रताप मिश्रा ने बच्चों की तस्करी की सूचना राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को दी थी। इसके बाद चेयरमैन डॉक्टर विशेष गुप्ता ने SSP को इसके जानकारी दी। शुक्रवार (जून 25, 2021) को दोपहर साढ़े 12 बजे GRP ने नॉर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस की घेराबंदी की।
चेकिंग के दौरान अलग-अलग 9 लोगों के पास कुल 33 बच्चे मिले। उनमें एक जुबैर नाम का व्यक्ति था, जो अपने बच्चे के साथ जा रहा था। शेष 8 लोगों के साथ अन्य बच्चे थे। इनमें मोहम्मद हाशिम, शाहिद आलम, नोमान, अब्दुल सलाम, मुशाबिर, शाह आलम, शमशुल हक और हाफिज जावेद शामिल हैं। इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है। बच्चों को बल कल्याण समिति के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।
**बंगाल, बिहार से हो रही थी बच्चों की तस्करी, प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए नाबालिग**
— PrayagrajTimes (@PrayagrajTimes) June 25, 2021
—-प्रयागराज रेलवे जंक्शन में शुक्रवार को कई नाबालिग बच्चे पकड़े गए, जिन्हें बिहार, बंगाल से अन्य राज्यों में बाल श्रम के लिए ले जाया जा रहा था।
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वहाँ उनके बयान दर्ज किए गए। 10 साल से कम उम्र के बच्चों को खुल्दाबाद स्थित राजकीय बाल गृह और इससे ज्यादा उम्र वाले बच्चों को राजरूपपुर राजकीय स्थित बाल गृह में भेजा गया है। आरोपितों ने पूछने पर बताया था कि वो तालीम दिलाने के लिए इन बच्चों को तुगलकाबाद स्थित एक मदरसे में ले जा रहे हैं। उन्होंने बच्चों के माँ-बाप से मंजूरी लेने की बात कही। लेकिन, जब सवाल दागा गया कि कोरोना महामारी में मदरसों में पढ़ाई चालू है, तो वो संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
वो लोग मदरसा प्रबंधन से भी बात नहीं करा पाए। तस्करी से पहले बच्चों को आरोपितों द्वारा प्रशिक्षण तक दिया गया था। अपने बयान में बच्चों ने ही ये खुलासा किया। पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर बच्चों ने आरोपितों को अपना मामा बताया था। उन्हें ऐसा बोलने के लिए सिखाया गया था। बच्चों को ये कहने को भी कहा गया था कि वो पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। इस गिरोह का नेटवर्क कहाँ तक फैला है, इसकी तफ्शीश की जा रही है।