देश में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक विधेयक पास होने के बाद थोड़ी राहत मिली है, जिन मामलों को लेकर औरतें अभी तक शांत थीं, उन मामलों पर उनकी आवाजें उठने लगीं हैं। हालिया मामला हैदराबाद की रहने वाली एक 20 वर्षीय महिला का है जिसने अपने पति पर तीन तलाक का आरोप लगाया है।
Hyderabad: A 20-year-old woman alleges she was given triple talaq by her husband in Delhi when she was pregnant; says,”they used to force me to ask my father for car, house. My husband used to beat me up, also tried to kill me once.He gave me triple talaq on a paper 3 months ago” pic.twitter.com/snZkrBJJaq
— ANI (@ANI) August 1, 2019
महिला के मुताबिक, उसके पति ने उसे उस समय एक पेपर पर लिखकर तीन तलाक दिया जब वो प्रेगनेंट थी। महिला बताती है, “वो मुझे अपने पिता से कार, घर माँगने के लिए मजबूर करते थे और जब मैं ऐसा करने से मना करती थी तो वो मेरे साथ मारपीट करते थे। वो मुझे एक बार जान से मारने की कोशिश भी कर चुके हैं। तीन महीने पहले उन्होंने मुझे एक पेपर पर तीन तलाक दिया था।”
#TripleTalaqBill के क़ानून बनने के बाद 19 सितंबर 2018 के बाद जितने भी #TripleTalaq के मामले सामने आए हैं उन सभी का निपटारा इसी क़ानून के तहत।
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) August 1, 2019
पति को देना होगा पत्नी-बच्चे के भरण-पोषण की रकम (कोर्ट द्वारा तय)।
महिला की शिकायत पर सीधे गिरफ्तारी।https://t.co/II0IlP8qXU
गौरतलब है तीन तलाक बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाले ऐतिहासिक विधेयक को बुधवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति के इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने के साथ ही मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक अब कानून बन गया है। इस कानून को 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा।
इस बिल के मुताबिक तीन तलाक से जुड़ा अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब महिला इसकी शिकायत खुद करेगी या फिर खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज कराने का अधिकार रहेगा। पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं करा सकता है।
देश में तीन तलाक के बढ़ते मामलों और मुस्लिम महिला पर होते अत्याचार के मद्देनजर मोदी सरकार ने इस बिल को लोकसभा में 25 जुलाई को और 30 जुलाई को राज्यसभा ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को अपनी स्वीकृति दी थी। बिल के क़ानून बनने के बाद ये तय हो गया है कि 19 सितंबर 2018 के बाद जितने भी तीन तलाक़ के मामले सामने आए हैं उन सभी का निपटारा इसी क़ानून के तहत किया जाएगा।