सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया मामले में चार आरोपितों को जमानत दी है।कोर्ट ने कहा की गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया फ़ैसला बहस का मुद्दा है। गुजरात में 2002 में दंगों के दौरान हुए इस नरसंहार में 97 लोगों की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली बेंच ने चार आरोपितों उमेशभाई सुराभाई भारवाड़, राजकुमार, पद्मेंद्रसिंह जसवंतसिंह राजपूत और हर्षद उर्फ मुंगडा जिला गोविंद छाड़ा परमार की जमानत मंगलवार (जनवरी 22, 2019) को मंजूर कर ली।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट की सजा का फ़ैसला “डिबेटेबल” है, जिसमें लम्बा समय लगेगा और उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होने के बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। एक को अपनी बेटी की शादी के लिए अस्थायी जमानत दी गई है।
नरोदा पाटिया नरसंहार की यह घटना गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में हुये अग्निकांड के एक दिन बाद की है। इस घटना में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में 28 फ़रवरी 2002 को भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी। जिनमें ज़्यादातर कर्नाटक और महाराष्ट्र के प्रवासी थे, भीड़ द्वारा दंगों में मारे गए थे। भीड़ ने आक्रोश में लगभग 800 घरों वाले इलाके में आग लगा दी थी।
गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले साल 20 अप्रैल को इस मामले के 29 आरोपितों में से में से 12 को दोषी ठहराया था और भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी सहित 17 अन्य को आरोप सिद्ध न होने पर बरी कर दिया था। इससे पहले निचली अदालत ने सभी 29 आरोपितों को दोषी ठहराया था।