Thursday, November 21, 2024
Homeदेश-समाज13 साल की उम्र में शादी, ददिया ससुर का ₹100 का कर्जा चुकाने के...

13 साल की उम्र में शादी, ददिया ससुर का ₹100 का कर्जा चुकाने के लिए राइस मिल में 10 साल करती रही बंधुआ मजदूरी: बेटी को नहीं दिया पढ़ने

चावल मिल में काम करने के 10 सालों के दौरान कुप्पाम्मल के एक बच्चे की भी मौत हो गई। इसके बाद उन्हें अपनी दो छोटी बेटियों को भी मिल में काम पर लगाना पड़ा।

इरुला जनजाति की एक युवा लड़की, जब महज 13 साल की थी, तब उसकी शादी 15 साल के एक रिश्तेदार से कर दी गई। उसे ये पता नहीं था कि शादी के बाद जिस हसीन जिंदगी के वो सपने देख रही है, वो सपने उसके दूल्हे के दादा द्वारा महज 100 रुपए की उधारी के लिए कुचल दिए जाएँगे और वो बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर कर दी जाएगी।

कुछ ऐसी ही कहानी है कुप्पाम्मल की। अब कुप्पाम्मल की उम्र 40 साल से ज्यादा हो चुकी है। वो इरुला जनजाति की हैं। करीब 2 दशक पहले उन्हें तमिलनाडु की एक चावल मिल से बंधुआ मजदूरी से मुक्ति मिली थी। उन्होंने गुरुवार (29 अगस्त 2024) को हैदराबाद में आयोजित एक सेमिनार में अपनी कहानी बताई।

हैदराबाद में आयोजित मानव तस्करी पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श में ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ से उन्होंने बताया, “हमें लगभग 24 घंटे काम करना पड़ता, सप्ताह के सातों दिन। मिल में काम करने वाले पुरुष सदस्य चावल और धान की बोरियों को इधर-उधर उठाकर रखते थे, तो महिलाएँ धान को साफ करती और चावल को साफ करती। हमें खाना बनाने का भी समय नहीं मिलता था।”

कुप्पाम्मल ने आगे बताया, “आप जानते हैं, हम रात 8 बजे के आसपास दलिया बनाना शुरू करते थे और रात 10 बजे तक हम खाना खाकर, सफाई करके अपना काम जारी रख लेते थे। रात के खाने में हम जो दलिया बनाते थे, वही अगले दिन का नाश्ता होता था। ऐसा 10 साल तक चलता रहा।”

चावल मिल में काम करने के 10 सालों के दौरान कुप्पाम्मल के एक बच्चे की भी मौत हो गई। इसके बाद उन्हें अपनी दो छोटी बेटियों को भी मिल में काम पर लगाना पड़ा। उन्होंने कहा, “मेरी सबसे बड़ी बेटी सात साल की हो गई और हम अभी भी मिल में थे और उसे पढ़ाई के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। तभी हमने फैसला किया कि हमें बाहर जाना होगा और इंटरनेशनल जस्टिस मिशन ने हमें बचाने में मदद की।”

कुप्पाम्मल को उस नर्क से निकले अब 2 दशक का समय बीच चुका है। वो तिरुवल्लूर में मुक्त बंधुआ मजदूर एसोसिएशन (आरबीएलए) का हिस्सा है, मानव तस्करी से बचे अन्य लोगों के साथ मिलकर उनके जीवन को फिर से सँवारने का प्रयास कर रही है। आरबीएलए, जो तमिलनाडु के पाँच जिलों के लगभग 10,000 पीड़ितों का संगठन है, ने अपने समुदाय के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम किया है।

कुप्पाम्मल ने बताया, “सरकार ने अब समुदाय के लोगों के लिए काम करने और कमाने के लिए दो ईंट भट्टे बनवाए हैं। इसके अलावा ब्लॉक प्रिंटिंग की पहल भी चल रही है, जिसका मैं हिस्सा हूँ।”

कुप्पाम्मल की ये कहानी बंधुआ मजदूरी की दर्दनाक सच्चाई को सामने लाती है। बंधुआ मजदूरी पर भारत देश में कानूनी रोक है। इसके बावजूद ऐसी घटनाओं का होना समाज पर काले-धब्बे की तरह है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सालों तक मर्जी से रिश्ते में रही लड़की, नहीं बनता रेप का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की FIR: कहा- सिर्फ ब्रेक अप हो...

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शादी के झूठे वादे के आधार पर किए गए रेप की FIR को खारिज कर दिया और आरोपित को राहत दे दी।

AAP ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए निकाली पहली लिस्ट, आधे से ज्यादा बाहरी नाम, 3 दिन पहले वाले को भी टिकट: 2 पर...

AAP ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 11 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। इनमें से 6 उम्मीदवार भाजपा और कॉन्ग्रेस से आए हुए हैं।
- विज्ञापन -