उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में हर भ्रष्टाचारी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। हाल में गाज गिरी है आईपीएस अरविंद सेन पर। पशुधन फर्जीवाड़े में आरोपित पाए गए पुलिस अधिकारी फिलहाल फरार चल रहे हैं लेकिन प्रशासन ने उनकी संपत्ति कुर्क करने का मन बना लिया है। सारी औपचारिकताएँ भी पूरी हो गई हैं। मुमकिन है 20 जनवरी 2021 या 21 जनवरी 2021 को इस काम के लिए तारीख तय कर दी जाए।
इससे पूर्व प्रशासन ने फरार चल रहे आईपीएस को पकड़ने के लिए 50 हजार रुपए का इनाम घोषित करवाया था। उन्हें ढूँढने के लिए कई टीमें काम पर लगी हुई हैं। अधिकारी पर शिकंजा कसने के लिए उनके गोमतीनगर के विराटखंड और अयोध्या स्थित आवास पर कुर्की का नोटिस चस्पा किए गए थे। न्यायालय ने भी उन्हें भगोड़ा घोषित करते समय संपत्ति कुर्क के आदेश दिए थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय पहले अरविंद सेन की लोकेशन बाराबंकी टोल गेट पर मिली थी। उस समय पुलिस ने बड़ी सतर्कता से वहाँ घेराबंदी की, लेकिन उनका पता नहीं चला। अब कहा जा रहा है कि पुलिस उनकी कई संपत्तियों का ब्योरा निकलवाएगी।
आईपीएस अरविंद सेन ने लखनऊ की संपत्ति अपने परिजनों के नाम पर ली है। इसलिए इस संबंध में पुलिस विधिक राय ले रही है। कुछ दिन पहले पुलिस गोमतीनगर स्थित आईपीएस के घर गई थी। लेकिन वहाँ से वह कोई जानकारी नहीं जुटा पाए।
गौरतलब है कि इस पूरे मामले में इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू द्वारा लखनऊ के हजरतगंज थाने में तहरीर दी गई थी, जिसके बाद इस केस में एफआईआर दर्ज की गई। शिकायत में आशीष रॉय, मोंटी गुर्जर, उमेश मिश्रा सहित 13 अभियुक्तों को नामजद किया गया था। आईपीएस अरविंद सेन को खोजने के लिए UP पुलिस डुगडुगी भी पिटवा चुकी है।
केस में पूरी पड़ताल के बाद अरविंद सेन का नाम उजागर हुआ था। मंजीत सिंह भाटिया का आरोप था कि पशुपालन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर उनसे 10 करोड़ रुपए हड़पे गए। बता दें कि यह मामला 13 जून 2020 को उजागर हुआ था। इसके बाद से करीब 14 लोग इसमें गिरफ्तार भी हुए। 11 के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर है।
जाँच के दौरान पुलिस को सचिवालय से जुड़े लोगों के नाम पता चले थे। इनमें 2 कर्मचारी और तीन होमगार्ड थे। इन पर आरोप था कि ये लोग पीड़ित व्यापारियों की गाड़ी को बिना प्रवेश पास के सचिवालय के अंदर जाने में सहयोग करते थे। साथ ही ये कर्मचारी ही फर्जी दफ्तर बनाने में सहायता भी करते थे।