हनुमान जयंती पर दिल्ली के जहाँगीरपुरी में साम्प्रदायिक हिंसा हुई। इस हिंसा के बाद पुलिसकर्मियों के साथ शोभा यात्रा में शामिल कुछ लोग भी घायल हुए। एक पुलिस वाले को गोली भी लगी। ऑपइंडिया ने इस घटना की ग्राउंड रिपोर्टिंग की। उस रिपोर्टिंग में कुछ बिंदु ऐसे भी थे, जिसकी गहनता से जाँच होने पर संभवतः कुछ नए खुलासे हों।
मस्जिद से सटी दुकान, वकील का बोर्ड और कबाड़ी
शोभायात्रा में शामिल लोगों ने जहाँगीरपुरी की जिस मस्जिद से पहला पत्थर फेंके जाने का आरोप लगाया है, उसी से दाईं तरफ एक दुकान दिखी। उस दुकान के आगे एक वकील का बोर्ड लगा दिखा। बोर्ड में लिखा था, “R.A. खान, एडवोकेट, दिल्ली हाईकोर्ट, पुलिस पोस्ट।” इसी बोर्ड में वकील का तीस हजारी कोर्ट में ठिकाना भी लिखा था।
इस बोर्ड के पीछे बहुत पुराना कोई और बड़ा बोर्ड लगा दिखा पर उसे इस नए बोर्ड से ढका गया था। यहाँ पर कबाड़ की हालत में 3 बाइकें खड़ी दिखीं। उसमें से एक बाइक का नंबर भी हाथ से पेंट किया हुआ था। साथ ही एक अन्य बाइक जर्जर हालत में थी, जिसका नंबर आदि दिखाई नहीं दिया। वकील का बोर्ड और कबाड़ की बाइकों के जमावड़े का आपस में क्या रिश्ता है, संभवतः इसे पुलिस जाँच कर रही होगी। इन बाइकों का मालिक कौन है, इस विषय में भी कोई जानकारी नहीं मिल पाई।
मस्जिद के सामने ठीक कबाड़ और बिखरी बोतलें
मस्जिद के ठीक सामने दूसरी पटरी पर कबाड़ का ढेर था। वहीं एक खाली मैदान जैसे स्थान पर कुछ लोग झुग्गी जैसा ठिकाना बना कर रह भी रहे थे। उनसे उनके मूल स्थान की जानकारी पूछी गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। वहीं सड़क के किनारे खुले में खाली बोतलें और बीयर के केन बिखरे पड़े दिखाई दिए। ध्यान रहे कि हनुमान जयंती पर हुई हिंसा में खाली बोतलों को भी हथियार के रूप में प्रयोग करने का आरोप लगा है।
मस्जिद से कुछ ही कदमों की दूरी पर शराब की दुकान
जिस मस्जिद के आगे पूरे विवाद की शुरुआत हुई, उसी के दूसरी पटरी पर कुछ ही कदमों की दूरी पर एक बड़ी बीयर शॉप है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दिन भर यहाँ कई लोग शराब और बीयर की खरीदारी करने आते हैं। कुछ का दावा था कि कुछ लोग खाली बोतलें भी वहीं छोड़ कर जाते हैं। यहाँ से निकले खाली केन और बोतलों को स्थानीय कबाड़ी ही समेटते हैं। यद्दपि इस शराब की दुकान से पूरे मोहल्ले में किसी को आपत्ति जताते नहीं सुना गया।
एक गेट पर बयानबाजी, दूसरे गेट पर फोटोग्राफी
ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्टिंग में यह भी दिखा कि मुख्य सड़क से रिहाइशी कॉलोनियों को जोड़ने वाले गेटों पर भीड़ घट-बढ़ रही थी। वह गेट बंद था। मौके पर पुलिस बल तैनात था। उस गेट पर कभी महिलाओं का पीछे से जमावड़ा दिखाई देता था। वो खुद को तमाम प्रतिबंधों में बताते हुए सरकार, पुलिस और हिन्दू संगठनों को कोसती हुई दिखाई दे रहीं थीं।
इन महिलाओं के साथ अक्सर छोटे-छोटे बच्चे भी दिखाई दे जाते थे। वहीं कुछ ही कदमों की दूरी पर मौजूद एक अन्य गेट पर भीड़ न के बराबर दिखी। वहाँ स्थानीय होने का दावा कर रहे एक व्यक्ति को गेट से बाहर निकल कर मीडिया वालों के आगे बयानबाजी करते भी देखा गया।
इसके अलावा स्थानीय लोगों को जहाँगीरपुरी में जिस बात से सबसे अधिक असंतोष था, वो लोकल पुलिस का व्यवहार था। कैमरे के आगे और कैमरे के पीछे कुछ लोगों ने स्थानीय SHO राजेश कुमार पर एक ही पक्ष की सुनवाई और दूसरे पक्ष के खिलाफ कार्रवाई का आरोप लगाया।