Friday, November 22, 2024
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‘हिजाब से बरसता है नूर, रेप उन्हीं का जो नहीं पहनती बुर्का’: जामिया में पत्रकारिता पढ़ने गई दिव्यांग हिंदू छात्रा, सहपाठी इस्लाम कबूलने का डालने लगे दबाव

बकौल पीड़िता, उसके हिन्दू होने की वजह से उसे तंग किया जा रहा था और उसकी हिंदू पहचान खत्म करने की साजिश की जा रही है। इस साजिश के खिलाफ लड़ाई में लड़की ने सभी लोगों की मदद माँगी है। तमाम शिकायतों के बाद पीड़िता की मदद करने के बजाय जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उसे लीगल नोटिस भेजा है और एक तरह से और प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है।

दिल्ली स्थित जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में एक दिव्यांग हिन्दू छात्रा को इस्लाम कबूलने का दबाव दिया जा रहा है। इनकार करने पर पीड़िता को रेप की धमकी दी जा रही है। यहाँ से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रही पीड़िता को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। पीड़िता ने शनिवार (19 अक्टूबर 2024) को इब्ने सऊद, प्रोफेसर दानिश इकबाल और मीर कासिम के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी है।

ऑर्गनाइजर के मुताबिक, पीड़िता ने अच्छे नंबरों से प्रवेश परीक्षा पास करके जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता कोर्स में एडमिशन लिया था। कुछ ही दिनों के बाद से पीड़िता यूनीवर्सिटी में गंदे-गंदे कमेंट, और यौन उत्पीड़न का शिकार होने लगी। जब पीड़िता ने उनसे ऐसा नहीं करने की अपील की तो उसको इस्लाम कबूल कर मुस्लिम बन जाने के लिए कहा जाने लगा।

पुलिस को दी गई शिकायत में पीड़िता ने बताया कि जब उसने इस्लाम कबूल करने से मना किया तो उसे जान से मारने और रेप करने की धमकी दी जाने लगीं। उससे कहा गया, “तुम कोलकाता कांड भूल गई क्या? जो भी हिजाब पहनने से मना करेगा, उसका यही अंजाम होगा।” आरोप है कि पीड़िता ने जब से पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है, तब से उसे और ज्यादा धमकियाँ मिल रही हैं।

इन धमकियों के कारण पीड़िता ही नहीं, बल्कि उसके परिजन भी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। पीड़ित छात्रा ने बताया कि 10 जुलाई 2023 को इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत हुई। तब उसे अनजान नम्बरों से कॉल आनी शुरू हुई थी। ये सभी पीड़िता पर अश्लील कमेंट करते थे। बाद में पीड़िता को पता चला कि इब्ने सऊद नाम के एक लड़के ने उसका नंबर पूरे जामिया नगर में बाँट रखा है।

पीड़िता के सामने राम मंदिर और हिंदुत्व को लेकर आपत्तिजनक कमेंट किए जाने लगे। तब पीड़िता को एहसास हो गया कि ये सब कुछ उसके हिंदू होने की वजह से किया जा रहा है। दिव्यांग छात्रा का आरोप है कि दानिश इक़बाल ने कुछ छात्रों के साथ मिलकर उसे अलग-थलग करने की कोशिश की। प्रताड़ना देने वालों में दानिश इकबाल के साथ मीर कासिम नाम का एक और युवक है।

ये सभी आवाज उठाने वाले छात्र और छात्राओं को प्रताड़ित किया करते थे। 14 मई 2024 को उसका पेपर और एक साक्षात्कार साथ रख दिया गया। इसके बाद उसने खुद को दिव्यांग बताते हुए इसे अलग-अलग तारीख पर रखने की गुहार लगाई, लेकिन उसका असर नहीं हुआ। फिर 16 मई 2024 को उस पर अवैध तौर पर अतिरिक्त फीस जमा करने का दबाव बनाया गया।

अपनी तमाम समस्याओं को लिखते हुए पीड़िता ने 10 जून को यूनिवर्सिटी को एक पत्र लिखा। हालाँकि, जामिया प्रशासन ने इसे अनदेखा कर दिया। इसके बाद 26 जुलाई से इब्ने सऊद पीड़िता के आगे-पीछे घूमने लगा। वह अचानक यूनिवर्सिटी की कैंटीन में उसके सामने आ जाता। कभी कॉलेज कैम्पस में सामने आ जाता तो कभी बाइक उसके पीछे लगा दिया करता था।

पर्याप्त अटेंडेंस होने के बावजूद 20 अगस्त 2024 को कम हाजिरी का आरोप लगाते हुए उसके घर एक नोटिस भेज दिया गया। पीड़िता ने इसके पीछे मीर कासिम की साजिश बताई है। इसी महीने दानिश इकबाल ने भरी क्लास में पीड़िता को अपमानजनक शब्द बोले। सितंबर में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पीड़िता को बुलाकर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव डाला और उसे तमाम तरह की धमकी दी।

हिजाब से आता है चेहरे पर नूर

पीड़िता का आरोप है कि जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक अधिकारियों ने सिर्फ उसी पर ही नहीं, बल्कि उसके परिजनों पर भी शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। इस दौरान पीड़िता को यूनिवर्सिटी प्रशासन से कुछ अधिकारियों ने हिजाब पहनने की हिदायत दी। उन्होंने कहा, “हिजाब पहनने से चेहरे पर नूर बरसता है। उन्हीं लड़कियों का बलात्कार होता है, जो हिजाब नहीं पहनती हैं।”

बकौल पीड़िता, उसके हिन्दू होने की वजह से उसे तंग किया जा रहा था और उसकी हिंदू पहचान खत्म करने की साजिश की जा रही है। इस साजिश के खिलाफ लड़ाई में लड़की ने सभी लोगों की मदद माँगी है। तमाम शिकायतों के बाद पीड़िता की मदद करने के बजाय जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उसे लीगल नोटिस भेजा है और एक तरह से और प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है।

इस नोटिस में साफ कहा गया है कि या तो वो अपनी शिकायत वापस ले, वरना कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहे। यह लीगल नोटिस समाचार चैनल क्राइम तक पर सितंबर 2024 में प्रकाशित हुए पीड़िता के एक इंटरव्यू के आधार पर भेजा गया है। इसी के साथ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पीड़िता द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों को आधारहीन बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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