झारखंड के लोहरदगा में इसी माह बुधवार (1 फरवरी 2023) को एक ही परिवार के 13 सदस्यों ने ईसाई धर्म त्याग कर सरना धर्म में घरवापसी कर ली। इन सभी ने पादरियों द्वारा खुद को गुमराह करने और अन्धविश्वास सिखाने का आरोप लगाया। साल 2012 में ईसाई मत अपनाने को इस परिवार ने अपनी बड़ी भूल बताते हुए सरना धर्म को ही बेहतर कहा। इन सभी की घरवापसी विधि-विधान से हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मामला लोहरदगा जिला के सेन्हा प्रखंड क्षेत्र में आने वाली मुर्की तोड़ार पंचायत का है। यहाँ के तोड़ार मैना टोली में राजेश खलखो अपने परिवार के साथ रहता है। राजेश का कहना है कि उनके घर वाले अक्सर बीमार रहा करते थे। इस बीमारी के चलते उनका परिवार समाज से अलग-थलग हो रहा था क्योंकि अन्य घरों के लोग उनके परिवार से दूरी बना रहे थे। राजेश का कहना है कि वो बीमारी से बचने के लिए झाड़-फूँक का सहारा लिया करते थे।
जानकारी के मुताबिक साल 2012 के ही दौरान उन्हें ईसाई समुदाय के कुछ लोग मिले। उन लोगों ने राजेश के परिवार की बीमारी का इलाज पादरियों के पास बताया। राजेश उनकी बातों में आ गया और अपने घर वालों को ठीक करने की मिन्नत की। कुछ समय बाद राजेश के घर पर पादरी बुलाए गए। उन सभी ने धीरे-धीरे राजेश को बहका दिया और बाद में राजेश ने पूरे परिवार के साथ ईसाई मत कबूल लिया। पादरियों का दावा था कि ऐसा करने से उसकी तमाम तकलीफों का अंत हो जाएगा।
राजेश का कहना है कि उसने पादरियों द्वारा बताए गए तमाम क्रियाकलाप किए लेकिन उसकी मुसीबतें जस की तस बनी रहीं। कुछ समय बाद ही राजेश को लगने लगा कि उन्हें गुमराह किया गया है। उन्हें अपना मूल धर्म सरना ही बेहतर लगने लगा और उन्होंने पड़हा बेल के आगे अपनी घरवापसी की इच्छा जताई। राजेश और उनके घर वालों के इस आवेदन को स्वीकार कर लिया गया। सरना समाज के पड़हा बेल दीपेश्वर भगत के मुताबिक गाँव में ही पाहन-पूजार करके राजेश के परिवार के 13 सदस्यों को वापस सरना धर्म में शामिल किया गया।
लोहरदगा में ईसाई धर्म छोड़कर वापस लौटे 13 लोग, धूमधाम से सरना धर्म में की वापसी pic.twitter.com/PCI3oXIvEb
— News18 Jharkhand (@News18Jharkhand) February 2, 2023
इस दौरान राजेश और उनके परिवार वालों ने संकल्प लिया कि भविष्य में वो दुबारा किसी के भी बहकावे में नहीं आएँगे और अपने मूल धर्म को ही सर्वोत्तम मानेंगे। घर वापसी करने वालों के नाम राजेश खलखो, सुखराम उरांव, सरिता खलखो, सुरजी उरांव, हीरा खलखो, मिनी खलखो, चंद्रदेव खलखो, राजू खलखो, सोनाली खलखो, अमन खलखो, सचिन खलखो और प्रीति खलखो हैं। इसमें सुखराम का भी कहना है कि उन्हें अन्धविश्वास दिखा कर पादरियों ने भटका दिया था।