जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद पूरी वादी में माहौल तेजी से बदला है। पाबंदियों में ढिलाई देने के बाद सामान्य जनजीवन पटरी पर लौट रहा है। प्रदेश में बदलाव का बयार साफ तौर देखने को मिल रहा है। अब यहाँ के हालात बिल्कुल बदल गए हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब कश्मीर की मस्जिदों में जिहादी नारे नहीं लगते। मस्जिदों में अब सिर्फ खुदा की इबादत होती है। अलगाववादियों की धमकियों और फतवों के खिलाफ भी लोग खुलकर सामने आ रहे हैं। कल तक उनके इशारे पर सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ती थी, अब उनके फरमानों पर आम कश्मीरी कान ही नहीं दे रहे हैं। अब मस्जिदों से ने तो दुकानें बंद रखने का एलान हो रहा है, न ही पथराव का। हालाँकि, मस्जिद के लाउडस्पीकर से लोगों को भड़काने के एक-दो प्रयास हुए, लेकिन वहाँ मौजूद अन्य नमाजियों ने ऐसे तत्वों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कश्मीर में पहले मस्जिदों का इस्तेमाल सियासत करने के लिए, राष्ट्रविरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए और आतंकियों द्वारा जिहाद के प्रति उकसाने के लिए किया जाता था, लेकिन अब कश्मीर की जनता इनके खिलाफ मुखर होकर सामने आ रही है। कट्टरपंथी गिलानी हों, उदारवादी मीरवाइज मौलवी उमर फारूक हो, यासीन मलिक हो या फिर पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस, सभी ने मजहब का सहारा लेकर अपनी सियासत चमकाने की कोशिश की। कश्मीर रेंज के पूर्व आइजी के हवाले से दैनिक जागरण ने बताया है कि अब मस्जिदों के लाउडस्पीकर जहर फैलाने का काम नहीं कर रहे हैं। अख़बार में छपी खबर के अनुसार, बटमालू स्थित मस्जिद के बाहर खड़े मोहम्मद यूसुफ ने कहा, लोग पहले भी हिंसा की बातें पसंद नहीं करते थे। आजादी और जिहाद का नारा देने वालों ने लोगों को डराकर रखा था।
इसके साथ ही, जिहाद के नाम पर बंदूक उठाने वाले आतंकी भी अब मुख्यधारा में लौटने की ख्वाहिश रखते हैं। श्रीनगर के रहने वाले एक पूर्व आतंकी सैफुल्ला (कोड नाम) का कहना है कि जो हुआ, सही हुआ। अगर यह 1947 में हो गया होता तो आज शायद वो संसद या एसेंबली में होते। उन्होंने कहा कि ब्लैकमेल और मजहब की सियासत के कारण ही उनके जैसे कई युवाओं ने राह भटक कर बंदूक उठा ली और कुछ अब भी उठा रहे हैं। बता दें कि, बाबर बदर (सईद फिरदौस), बिलाल लोधी, उसमान मजीद, इमरान राही, जफर अकबर फतेह आदि कई ऐसे पूर्व आतंकी हैं, जो मुख्यधारा में वापस आना चाहते हैं।
वहीं, केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में विकास को लेकर बैठक की और संबंधित मंत्रालय को इसकी जिम्मेदारी भी सौंप दी है। साथ ही, केंद्र सरकार ने राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से परदे के पीछे संवाद की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ केंद्र के प्रतिनिधिमंडल ने अलग-अलग मुलाकात की है।