Tuesday, April 8, 2025
Homeदेश-समाजJ&K: मस्जिदों में जिहादी नारे बंद, कई पूर्व आतंकी मुख्यधारा में लौटने को तैयार

J&K: मस्जिदों में जिहादी नारे बंद, कई पूर्व आतंकी मुख्यधारा में लौटने को तैयार

अब मस्जिदों से ने तो दुकानें बंद रखने का एलान हो रहा है, न ही पथराव का। हालाँकि, मस्जिद के लाउडस्पीकर से लोगों को भड़काने के एक-दो प्रयास हुए, लेकिन वहाँ मौजूद अन्य नमाजियों ने ऐसे तत्वों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद पूरी वादी में माहौल तेजी से बदला है। पाबंदियों में ढिलाई देने के बाद सामान्य जनजीवन पटरी पर लौट रहा है। प्रदेश में बदलाव का बयार साफ तौर देखने को मिल रहा है। अब यहाँ के हालात बिल्कुल बदल गए हैं।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब कश्मीर की मस्जिदों में जिहादी नारे नहीं लगते। मस्जिदों में अब सिर्फ खुदा की इबादत होती है। अलगाववादियों की धमकियों और फतवों के खिलाफ भी लोग खुलकर सामने आ रहे हैं। कल तक उनके इशारे पर सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ती थी, अब उनके फरमानों पर आम कश्मीरी कान ही नहीं दे रहे हैं। अब मस्जिदों से ने तो दुकानें बंद रखने का एलान हो रहा है, न ही पथराव का। हालाँकि, मस्जिद के लाउडस्पीकर से लोगों को भड़काने के एक-दो प्रयास हुए, लेकिन वहाँ मौजूद अन्य नमाजियों ने ऐसे तत्वों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

कश्मीर में पहले मस्जिदों का इस्तेमाल सियासत करने के लिए, राष्ट्रविरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए और आतंकियों द्वारा जिहाद के प्रति उकसाने के लिए किया जाता था, लेकिन अब कश्मीर की जनता इनके खिलाफ मुखर होकर सामने आ रही है। कट्टरपंथी गिलानी हों, उदारवादी मीरवाइज मौलवी उमर फारूक हो, यासीन मलिक हो या फिर पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस, सभी ने मजहब का सहारा लेकर अपनी सियासत चमकाने की कोशिश की। कश्मीर रेंज के पूर्व आइजी के हवाले से दैनिक जागरण ने बताया है कि अब मस्जिदों के लाउडस्पीकर जहर फैलाने का काम नहीं कर रहे हैं। अख़बार में छपी खबर के अनुसार, बटमालू स्थित मस्जिद के बाहर खड़े मोहम्मद यूसुफ ने कहा, लोग पहले भी हिंसा की बातें पसंद नहीं करते थे। आजादी और जिहाद का नारा देने वालों ने लोगों को डराकर रखा था।

इसके साथ ही, जिहाद के नाम पर बंदूक उठाने वाले आतंकी भी अब मुख्यधारा में लौटने की ख्वाहिश रखते हैं। श्रीनगर के रहने वाले एक पूर्व आतंकी सैफुल्ला (कोड नाम) का कहना है कि जो हुआ, सही हुआ। अगर यह 1947 में हो गया होता तो आज शायद वो संसद या एसेंबली में होते। उन्होंने कहा कि ब्लैकमेल और मजहब की सियासत के कारण ही उनके  जैसे कई युवाओं ने राह भटक कर बंदूक उठा ली और कुछ अब भी उठा रहे हैं। बता दें कि, बाबर बदर (सईद फिरदौस), बिलाल लोधी, उसमान मजीद, इमरान राही, जफर अकबर फतेह आदि कई ऐसे पूर्व आतंकी हैं, जो मुख्यधारा में वापस आना चाहते हैं।

वहीं, केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में विकास को लेकर बैठक की और संबंधित मंत्रालय को इसकी जिम्मेदारी भी सौंप दी है। साथ ही, केंद्र सरकार ने राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से परदे के पीछे संवाद की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ केंद्र के प्रतिनिधिमंडल ने अलग-अलग मुलाकात की है। 

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ढह गए जर्मनी-जापान-चीन के बाजार, लेकिन भारत ने दिखाया दम: शेयर मार्केट क्रैश के लिए मोदी सरकार को कोसने वालों को पसंद नहीं आएँगे...

सेंसेक्स में एक दिन में 2227 पॉइंट्स की गिरावट। सबसे ज़्यादा क्षति यहाँ टाटा समूह को पहुँची, जिसे 2.40 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।

आतंकी तहव्वुर राणा को भारत आना ही होगा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण पर रोक से कर दिया इनकार: 26/11 की रची थी साजिश,...

राणा ने लश्कर-ए-तैयबा और ISI के साथ मिलकर हमले की साजिश रची। उसने हेडली को फर्जी कागजात और पैसा दिया, ताकि वो मुंबई में टारगेट ढूँढ सके।
- विज्ञापन -