जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अपनी भतीजी से रेप की कोशिश के आरोपित फैयाज अहमद डार को जमानत दे दी है। अदालत ने कहा कि बगैर पेनिट्रेशन के आरोपित द्वारा अपने और पीड़िता के कपड़े उतारने को भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की धारा 376/51 के तहत बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता। उसे जमानत देते हुए इसे POCSO एक्ट की धारा 7/8 के तहत इसे यौन हमले का मामला बताया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव कुमार ने कहा, “इस मामले में याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर पीड़िता के कपड़े उतार दिए थे। अपनी पैंट भी खोल ली थी। यह अपराध करने का प्रयास करने की तैयारी करने की एक कोशिश थी। लेकिन, इस निष्कर्ष पर पहुँचना मुश्किल है कि याचिकाकर्ता का इरादा बलात्कार करने का था या याचिकाकर्ता द्वारा किया गया कृत्य बलात्कार करने के प्रयास के समान है।”
फैयाज पर अपनी ही नाबालिग भतीजी से रेप की कोशिश करने के आरोप में आईपीसी की धारा 376, 354, 511 और पोक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत केस दर्ज किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता आरोपित के पड़ोस में रहती थी और मोबाइल एक्सेसरीज खरीदने के लिए उसकी दुकान पर गई थी।
नाबालिग पीड़िता के बयान के मुताबिक, आरोपित ने कथित तौर पर टेप से उसका मुँह बंद कर दिया था। उसने उसकी और अपनी पैंट उतार दी थी। लेकिन, इसी दौरान आरोपित का भाई वहाँ आ गया तो उसने उसके मुँह से टेप निकाल दिया और वहाँ से चला गया।
फैयाज को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, “पीड़िता के बयान पर विश्वास किया जाए तो शुरुआती तौर पर यह रेप करने की कोशिश की तरह था। इसलिए आईपीसी की धारा 511 नहीं लगता है। यह धारा 354 के तहत दंडनीय हो सकता है।”
मेडिकल जाँच में यह सामने आया था कि न तो पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाया गया था और न ही उसके शरीर पर किसी प्रकार के चोट के निशान थे। कोर्ट ने कहा, “अपराध करने की तैयारी और प्रयास के बीच बहुत मामूली सा अंतर है।” हाईकोर्ट ने आरोपित को 50,000 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए कहा, “हम यह नहीं भूल सकते हैं कि जमानत एक नियम है। गिरफ्तारी को सही तरीके से किया गया है। इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत का अधिकार है।”