जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन ने विश्वविद्यालय के छात्र संघ (JNUSU) को परिसर में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के कथित पीड़ितों को आश्रय देने के खिलाफ चेतावनी दी है। इस संबंध में जारी नोटिस में जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने ऐसे किसी भी प्रयास में शामिल छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। नोटिस में कहा गया है कि JNUSU को जेएनयू परिसर को आश्रय गृह बनाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
साथ ही रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने यह भी कहा है कि जेएनयू प्रशासन को कैंपस निवासियों से कई फोन आए थे, जिसमें कहा गया था कि वो JNUSU द्वारा उठाए गए इस कदम के कारण काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। वहीं विश्वविद्यालय के वीसी जगदीश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि छात्रों को सलाह दी है कि कृप्या ऐसी खुली छूट न दें। ऐसा करने की बजाय वे परिसर से आवश्यक वस्तुएँ लेकर लोगों की सहायता कर सकते हैं।
Jagadesh Kumar,JNU VC on reports that JNUSU gave open call to those affected in #NortheastDelhi violence to take shelter in campus:Have advised students that please don’t give such open calls. Instead, they can collect essential items from campus&provide humanitarian help to ppl pic.twitter.com/a3Po48gUZ2
— ANI (@ANI) February 29, 2020
वहीं धुर वामपंथी संगठनों के प्रभाव वाले छात्र संघ ने दावा किया है कि JNUSU कार्यालय उनके दायरे में आता है और कहा, “जेएनयू हमेशा लोगों की जरूरत के लिए खुला रहा है। हमने 1984 के दंगा पीड़ितों को आश्रय भी दिया था।”
We urge you to volunteer for the rescue teams which are working all over Delhi.
— JNUSU (@JNUSUofficial) February 26, 2020
JNUSU Office is open for everyone who needs shelter.
Contact us. pic.twitter.com/UTHjh6s5lu
JNUSU ने एक पोस्ट में दावा किया कि सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने के अपने अभियान के तहत स्वयंसेवकों को बुलाया था। इस पोस्टर में कहा गया था कि शहर में कई बचाव दल काम कर रहे हैं। पोस्टर में कहा गया था, “हमारा कैंपस/JNUSU ऑफिस उन सभी लोगों के लिए खुला है, जिन्हें आश्रय की जरूरत है।” पोस्टर में चार JNUSU सेंट्रल पैनल मेंबर्स के नाम और नंबर भी थे। ये नाम हैं- आइशी घोष, साकेत मून, सतीश चंद्र और दानिश।
उल्लेखनीय है कि रविवार (फरवरी 23, 2020) से दिल्ली की सड़कों पर शुरू हुए हिंदू विरोधी दंगों में लगभग 42 लोगों की मौत हो गई, जबकि और 200 से अधिक लोग घायल हैं। घायलों में सुरक्षा बलों के करीब 70 लोग शामिल हैं। मृतकों में दिल्ली पुुलिस का हेड कांस्टेबल रतनलाल और आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा भी शामिल हैं। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा ने शुक्रवार को बताया कि दंगों के सिलसिले में 123 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है जिसमें 23 गोली चलाने के मामलों की है। उन्होंने बताया कि दंगाइयों की पहचान कर उन्हें शिकंजे में लेने का काम तेजी से जारी है। अब तक 630 लोग हिरासत में लिए गए हैं या गिरफ्तार किए गए हैं।