Friday, November 22, 2024
Homeदेश-समाजJNU प्रोफ़ेसर ने हिंदी को ‘सांप्रदायिक भाषा’ साबित करने पर शोध करने को कहा,...

JNU प्रोफ़ेसर ने हिंदी को ‘सांप्रदायिक भाषा’ साबित करने पर शोध करने को कहा, रिसर्च स्कॉलर पहुँचा हाई कोर्ट

याचिका में कार्यवाहक सुपरवाइजर और अन्य लोगों पर आरोप है कि उन्होंने रॉय पर दबाव बनाया कि वह हिंदी की छवि खराब करने को लेकर रिसर्च करे, साथ ही हिंदी के दिग्गजों के खिलाफ भी ऐसा ही करे।

विवादों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले शिक्षण संस्थान JNU में नया विवाद सामने आया है। 35 वर्षीय रिसर्च स्कॉलर आशुतोष कुमार रॉय ने दिल्ली हाई कोर्ट की मदद ली है। रिसर्च स्कॉलर ने आरोप लगाया है कि उस पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह हिंदी को सांप्रदायिक भाषा बताते हुए उस पर रिसर्च करे। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सी हरी शंकर ने विश्वविद्यालय और सह-प्राध्यापक को नोटिस जारी करते हुए इस पर 23 अप्रैल तक जवाब माँगा है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, JNU में इतिहास विषय से पीएचडी कर रहे आशुतोष कुमार रॉय ने अपने वकील के दिब्यांशु पांडे के जरिए आरोप लगाया है कि उनसे जबरन उनका विषय बदलकर हिंदी को सांप्रदायिक बताते हुए रिसर्च करने का दबाव बनाया गया है। रॉय ने संविधान के तहत मौलिक अधिकारों के हनन की दलील देते हुए विश्वविद्यालय से 2019 के शीतकालीन सेमेस्टर के लिए पीएचडी सुपरवाइजर की माँग की है।

दायर की गई याचिका में विश्वविद्यालय द्वारा रजिस्ट्रेशन के लिए मना करने और हिंदी पब्लिक स्फियर(1870-1970) और राष्ट्रवाद पर रिसर्च कर बहस के जरिए हिंदी की छवि खराब करने को लेकर जाँच की माँग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि रॉय दिसंबर 2017 से लेकर जून 2018 तक तीन बार नए सुपरवाइजर की नियुक्ति की अपील कर चुके हैं, लेकिन विश्वविद्यालय की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। रॉय ने खुद अध्ययन करते हुए बिना किसी मदद के जुलाई 2018 में शोध प्रारूप दिया।

रॉय के इस शोध प्रारूप को जब कमेटी ऑफ एडवांस स्टडी एंड रिसर्च में प्रस्तुत किया गया तो प्राध्यापक ने शोध प्रारूप अपने पास रख लिया और कहा, “यहाँ हिंदी के पक्ष में रिसर्च करने के लिए कोई जगह नहीं है, बेहतर होगा आप दिल्ली विश्वविद्यालय चले जाइए और वहाँ जाकर भारतेंदु हरिश्चंद्र का गुणगान कीजिए।”

याचिका में कार्यवाहक सुपरवाइजर और अन्य लोगों पर आरोप है कि उन्होंने रॉय पर दबाव बनाया कि वह हिंदी की छवि खराब करने को लेकर रिसर्च करे, साथ ही हिंदी के दिग्गजों के खिलाफ भी ऐसा ही करे। इतना ही नहीं, रॉय को आगे की पीएचडी भी करने से रोका जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इसे अपने मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

वर्ष 2012 में JNU आए रॉय ने पुराने रिसर्च सुपरवाइजर के इस्तीफे के बाद बिना देरी के नए रिसर्च सुपरवाइजर की नियुक्ति की माँग की है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय की तरफ से नया सुपरवाइजर ना मिलने के चलते उनकी पढ़ाई में भी रुकावट आ रही है। विश्वविद्यालय की तरफ से उनकी रिसर्च के लिए रिसर्च एडवाइजरी कमेटी का भी गठन नहीं किया जा रहा है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सालों तक मर्जी से रिश्ते में रही लड़की, नहीं बनता रेप का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की FIR: कहा- सिर्फ ब्रेक अप हो...

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शादी के झूठे वादे के आधार पर किए गए रेप की FIR को खारिज कर दिया और आरोपित को राहत दे दी।

AAP ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए निकाली पहली लिस्ट, आधे से ज्यादा बाहरी नाम, 3 दिन पहले वाले को भी टिकट: 2 पर...

AAP ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 11 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। इनमें से 6 उम्मीदवार भाजपा और कॉन्ग्रेस से आए हुए हैं।
- विज्ञापन -