जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के लेफ्ट यूनियन द्वारा बाबरी मस्जिद पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘राम के नाम’ की परिसर में स्क्रीनिंग की घोषणा पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आपत्ति जताते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी है। टाइम्स नॉउ की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम रद्द करने की सलाह देते हुए शनिवार (4 दिसंबर 2021) को कहा कि परिसर में इस तरह की अनधिकृत गतिविधि सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है।
Another controversy hits #JNU: Left union plans a film on Babri; the administration raises a red flag as it may disturb communal peace.
— TIMES NOW (@TimesNow) December 4, 2021
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जेएनयू प्रशासन ने कहा कि छात्र संघ कार्यक्रम रद्द करें या अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। दरअसल, वामपंथी छात्रों ने इस कार्यक्रम के विज्ञापन वाले पैम्फलेट शनिवार की सुबह वितरित किया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि इस आयोजन के लिए जरूरी पूर्व अनुमति नहीं ली गई है। बता दें कि इस फिल्म में बाबरी मस्जिद के विध्वंस और विध्वंस के बाद मारे जा रहे अल्पसंख्यकों के प्रोपेगेंडा को दिखाया गया है।
जेएनयू के रजिस्ट्रार द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि इस तरह की अनधिकृत गतिविधि विश्वविद्यालय परिसर के सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है। संबंधित छात्रों/व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द करें। ऐसा न करने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है। छात्रों को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वे इस पर्चे से प्रभावित न हों, जो कि अनधिकृत और अनुचित है।
फिल्मकार आनंद पटवर्धन का 1992 का यह वृत्तचित्र अयोध्या में राम मंदिर बनाने के अभियान से संबंधित है। जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) अध्यक्ष आइशी घोष ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उन्होंने यूनियन हॉल में ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग निर्धारित की है।
आइशी ने कहा, “आरएसएस-भाजपा के कठपुतली लोग जो इस यूनिवर्सिटी में बैठे हैं, इनको इस बात से दिक्कत है कि यह डॉक्यूमेंट्री बीजेपी की सच्चाई को दिखाता है। ये जो राइटविंग फंडामेंटलिस्ट लोग हैं लोग हैं, जो देश की की कम्यूनल हारमनी को खराब करना चाहते हैं, उसकी सच्चाई को दिखाता है, ना कि कम्यूनल हारमनी को बिगाड़ता है। जेएनयूएसयू किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा। यह कार्यक्रम होगा और हम जेएनयू छात्र समुदाय से इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए रात नौ बजे बड़ी संख्या में एकत्र होने का अनुरोध करते हैं।”
वहीं, जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा, “6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी होगी। हमने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित करने का फैसला किया। विश्वविद्यालय प्रशासन यह तय नहीं कर सकता कि छात्र क्या देखेंगे। डॉक्यूमेंट्री सार्वजनिक रूप से तथा यूट्यूब पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है और इसने पुरस्कार भी जीते हैं।”