Sunday, December 22, 2024
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भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित हुआ जोशीमठ, 68 परिवार राहत शिविरों में शिफ्ट: 600 घरों में दरार आने के बाद बोले CM धामी – सब मिल कर क्षेत्र को बचाएँ

"हमने सभी लोगों से अनुरोध किया है कि ये समय मिलकर जोशीमठ को बचाने का है। सब लोग मिलकर काम करें। हमारी पहली प्राथमिकता है जोशीमठ शहर बचना चाहिए और लोगों की जानमाल की भी सुरक्षा होनी चाहिए।"

उत्तराखंड के जोशीमठ में दरार और धँसाव को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में है। फिलहाल, इस क्षेत्र को भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित किया गया है। राहत और बचाव के बीच प्रशासन ने 68 परिवारों को शिफ्ट किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यह समय मिल जुलकर जोशीमठ को बचाने का है।

आदि शंकराचार्य की तपोभूमि जोशीमठ में स्थितियाँ हर घण्टे बदलती जा रहीं हैं। स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य व केंद्र सरकार की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। प्रशासन ने जोशीमठ के 68 परिवारों को अस्थायी राहत केन्द्रों में शिफ्ट किया है। साथ ही, कमसे कम 90 से अधिक परिवारों को शिफ्ट करने की बात कही जा रही है।

जोशीमठ में करीब 4500 मकान हैं। इनमें से 600 से अधिक मकान ऐसे हैं जिनमें दरारें पड़ गईं हैं। ऐसे में, इन मकानों में रहना खतरे से खाली नहीं है। यही कारण है कि लोग अपने घरों को छोड़कर जाने को मजबूर हैं। हालाँकि, प्रशासन जोशीमठ में रह रहे लोगों की हरसंभव सहायता में जुटा हुआ है।

जोशीमठ में भू-धँसाव से उपजे हालात को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमने सभी लोगों से अनुरोध किया है कि ये समय मिलकर जोशीमठ को बचाने का है। सब लोग मिलकर काम करें। हमारी पहली प्राथमिकता है जोशीमठ शहर बचना चाहिए और लोगों की जानमाल की भी सुरक्षा होनी चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा है, “खतरे में आने वाले 68 परिवारों को सुरक्षित जगह शिफ्ट किया गया है। 600 से अधिक मकानों का जो एक जोन बना है, वहाँ से भी लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है। पीएम मोदी भी इसकी लगातार समीक्षा कर रहे हैं और हमें हर प्रकार से सहायता देने का आश्वासन दिया है।”

वहीं, इस मामले में जोशीमठ के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना का कहना है, “जोशीमठ क्षेत्र को आपदा ग्रस्त घोषित किया गया है। जल शक्ति मंत्रालय की एक टीम सहित केंद्र सरकार की 2 टीमें जोशीमठ पहुँच रही हैं। जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रभावित लोगों को सूखा राशन किट वितरित किया जा रहा है।”

क्या है भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र

बता दें कि इससे पहले रविवार (8 जनवरी, 2023) को पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) की बैठक के बाद अधिकारियों ने जोशीमठ को भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित किया था।

देश भर के पहाड़ी इलाकों में भू-स्खलन की घटना सामान्य है। खासतौर से उत्तराखंड जैसे राज्य में भारी बारिश या चट्टानों के खिसकने से भूस्खलन होता रहा है। हालाँकि, भू-धँसाव की घटनाएँ काफी कम सामने आतीं हैं। इसमें, जमीन अपनी स्थिति से नीचे की ओर धँसने लगती है।

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, भू-धँसाव की घटना पृथ्वी की ऊपरी सतह के हटने के कारण सामने आती है। यह अक्सर पानी, तेल, प्राकृतिक गैस या खनिज संसाधनों को पंपिंग, फ्रैकिंग या खनन गतिविधियों द्वारा जमीन से बाहर निकालने के कारण होता है। हालाँकि, भूकंप, मिट्टी के कटाव या या जमीन के भूस्खलन के बाद भी भू-धँसाव की घटनाएँ होती हैं।

उत्तराखंड के जोशीमठ, कर्णप्रयाग और उत्तरकाशी जैसे क्षेत्रों में फिलहाल जो सामने आ रहा है वह भूस्खलन और धँसाव दोनों है। यानी पृथ्वी की ऊपरी सतह धँस भी रही है और खिसक भी रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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