महाराष्ट्र के कल्याण जिले में स्थित दुर्गाडी किला पर महाराष्ट्र सरकार का अधिकार है। कल्याण की जिला एवं सत्र न्यायालय ने किले के भीतर स्थित मस्जिद और ईदगाह पर वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया है। इस किले में दुर्गा माता का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कल्याण कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि किले के भीतर की मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है। बता दें कि इस जगह पर 1968 तक मंदिर और मस्जिद दोनों का इस्तेमाल दोनों समुदाय करते थे, लेकिन इसके बाद विवाद हो गया। साल 1967 में यहाँ पूजा करने पर भी रोक लगा दी गई थी। हालाँकि शिवसैनिक रोक के बावजूद यहाँ पूजा किया करते थे। फिलहाल, ये संपत्ति कल्याण म्यूनिसिपल काउंसिल के कब्जे में है। यहाँ नवरात्रि के मौके पर शिवसेना प्रशासन से अनुमति लेकर बड़े पैमाने पर पूजा और मेले का आयोजन करती है।
कोर्ट के इस फैसले का पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना ने स्वागत किया है। शिवसेना का कहना है कि यह फैसला देवी दुर्गा के आशीर्वाद और हिंदू समुदाय की एकजुटता का परिणाम है। शिवसेना नेता दिनेश देशमुख और गोपाल लांडगे समेत कई कार्यकर्ताओं और सरकारी वकीलों के प्रयासों को भी इस जीत का श्रेय दिया गया है। शिवसेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया गया, “दुर्गा माते की जय, शिवसेना जिंदाबाद। कल्याण का दुर्गाडी किला अब आधिकारिक रूप से देवी दुर्गा का मंदिर है। न्याय की जीत हुई है। जय हिंदुत्व!”
दुर्गा माते की जय, शिवसेना झिंदाबाद !
— Shivsena – शिवसेना (@Shivsenaofc) December 10, 2024
कल्याणचा ऐतिहासिक दुर्गाडी किल्ला मशीद नसून दुर्गामातेचे मंदिरच असल्याचा महत्त्वपूर्ण निकाल आज कल्याण जिल्हा व सत्र न्यायालयाने दिला आहे. या निर्णयाचे शिवसेना स्वागत करते. हा किल्ला वक्फ बोर्डाची मालमत्ता नसल्याचं कोर्टाने स्पष्ट केलं आहे.… pic.twitter.com/TghSPoEGP4
दुर्गाडी किला ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह वह स्थान है जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य के पहले नौसैनिक अभियान की शुरुआत की थी। यह किला हमेशा से हिंदू समुदाय के लिए आस्था का केंद्र रहा है। पिछले 48 वर्षों से दुर्गाडी किले को देवी दुर्गा का मंदिर घोषित करने के लिए शिवसेना और हिंदू संगठनों ने आंदोलन चलाया।
इस संघर्ष की शुरुआत शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने की थी। धर्मवीर आनंद दिघे और वर्तमान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस आंदोलन को मजबूती दी। शिवसैनिकों ने कई बार दुर्गाडी किले के पास घंटानाद आंदोलन किया और सामूहिक आरती गाई। खासतौर पर नवरात्रि के दौरान इस किले को केंद्र में रखकर भव्य धार्मिक आयोजन किए गए।
दुर्गाडी किले पर आज का फैसला न केवल एक ऐतिहासिक निर्णय है, बल्कि यह हिंदुत्व और मराठा इतिहास के गौरव को भी पुनर्जीवित करता है। शिवसेना और हिंदू संगठनों के प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया कि सत्य को दबाया नहीं जा सकता। अब यह किला न केवल आस्था का केंद्र रहेगा, बल्कि मराठा इतिहास का एक जीवंत स्मारक भी बनेगा।