मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कामरान हैदर दिल्ली में ‘अली इंटरनेशनल सर्विसेज’ नाम से एक कंसल्टेंसी फर्म चलाता था। इस काम में उसके साथ मंजूर आलम, अखिल और अफ़ज़ल भी जुड़े थे। ये सभी मिल कर लोगों को विदेश में नौकरी लगवाने का लालच देते थे। हालाँकि इन सभी का असल काम मानव तस्करी हुआ करता था। ये गिरोह नौकरी के जरूरतमंद भारतीयों को लाओस और थाईलैंड जैसे देशों में भेजा करता था।
दिल्ली के रहने वाले नरेश लखावत भी इसी नेटवर्क के झाँसे में आ गए। इन्हें अली इंटरनेशनल की तरफ से लाओस और थाईलैंड में काम करने का ऑफर मिला। नरेश इस झाँसे में आकर थाईलैंड पहुँच गए। यहाँ उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया। बाद में उन्हें साइबर फ्रॉड करने वाली चीन की एक कम्पनी में जबरन काम करवाया गया। भारत लौट कर नरेश ने जून 2024 में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
मानव तस्करी से रैकेट जुड़ा होने के कारण यह केस राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया। NIA की जाँच में पता चला कि कामरान की कम्पनी ने मानव तस्करी के शिकार लोगों को उन कॉल सेंटरों में भेजा जहाँ अमेरिकी और यूरोपीय नागरिकों से ऑनलाइन ठगी की जाती थी। वह क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट के जरिए अवैध तौर पर पैसे भी निकाल चुका था। NIA ने यह भी पाया कि कामरान हैदर की कम्पनी का आपराधिक नेटवर्क दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में खासतौर से फैला था।
आगे की जाँच में NIA ने यह भी पाया कि अली इंटरनेशनल द्वारा पीड़ितों से अमानवीय ढंग से काम करवाया गया था। अपने खिलाफ जाँच शुरू होते ही कामरान हैदर फरार हो गया। NIA के साथ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी उसकी खोजबीन शुरू कर दी। गिरफ्तारी से बचने के लिए कामरान लगातार ठिकाने बदल रहा था। आखिरकार NIA ने कामरान पर 2 लाख रुपयों का इनाम रखा। शनिवार को उसकी लोकेशन हैदराबाद के नामपल्ली रेलवे स्टेशन के पास मिली।
दिल्ली पुलिस ने 2500 किलोमीटर दूरी का फासला तय करके कामरान को दबोच लिया। कामरान को आगे की पूछताछ के लिए दिल्ली लाया गया है। यहाँ पुलिस के साथ NIA की टीमें भी उससे पूछताछ कर रही हैं। पूछताछ में पता चला कि कामरान थाईलैंड और लाओस भागने की फिराक में था। जाँच में अभी कुछ और पीड़ितों के नाम सामने आ सकते हैं। कामरान के गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की भी पड़ताल जारी है।
बताते चलें कि नवंबर 2024 में ऑपइंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे झाँसा दे कर थाईलैंड ले जाए गए भारतीयों को नर्क से भी बदतर जीवन बिताना पड़ता था। इन्हें खाने में सुअर का माँस और पीने के लिए टॉयलेट का पानी तक शामिल होता है। इन सभी को लाखों में सैलरी और आईटी से जुड़ा हल्का-फुल्का काम जैसे सपने दिखा कर ले जाया गया था। पीड़ितों ने अपने दर्दनाक अनुभवों में उलटा लटकाने और बिजली के झटके देने जैसी प्रताड़ना का हवाला दिया है।