अभिनेत्री कंगना रनौत का बंगला तोड़ने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई महानगर पालिका (BMC) के खिलाफ शुक्रवार (सितंबर 25, 2020) को तल्ख टिप्पणी की। दोनों पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि बीएमसी ने गलत नीयत से यह कार्रवाई की।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि बीएमसी ने कार्रवाई में काफी जल्दी दिखाई है। कोर्ट ने बीएमसी से पूछा कि क्या अवैध निर्माण को गिराने में वह हमेशा इतनी ही तेजी दिखाती है जितनी कंगना रनौत का बंगला गिराने में दिखाई? हाई कोर्ट ने बीएमसी को यह बताने को कहा है कि आखिर कंगना रनौत के खिलाफ कार्रवाई कानून के उन प्रावधानों के तहत क्यों नहीं की गई जिसमें कॉर्पोरेशन को आरोपों का जवाब देने के लिए कंगना को पर्याप्त समय दिया जाता।
कोर्ट ने कहा, “जितनी तेजी से आपने एक दिन पहले सर्वे किया और अगले दिन कार्रवाई की, इतनी जल्दी तो आप कोर्ट में रिप्लाई भी नहीं करते। बीएमसी के वो अधिकारी कौन थे जो कंगना रनौत के दफ्तर सर्वे करने गए थे। कोर्ट ने कहा कि पहली बार मामले को देखने पर यही लगता है कि गलत नीयत से कार्रवाई की गई है।”
कंगना रनौत के बंगले में तोड़-फोड़ मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख बीएमसी को लेकर सख्त फैसले आए। मामले की सुनवाई जस्टिस शाहरुख जिमी कथावाला और जस्टिस रियाज इकबाल चगला की खंडपीठ के सामने हुई।
बेंच ने बीएमसी को यह भी बताने को कहा कि उसने ग्राउंड फ्लोर पर तोड़–फोड़ क्यों की जब वहाँ कोई काम नहीं चल रहा था। कोर्ट की ओर से यह टिप्पणी और निर्देश कंगना रनौत के वकील की ओर से यह बताने के बाद आया कि बीएमसी ने रनौत के बंगले में तोड़-फोड़ के लिए मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की धारा 354 (ए) का इस्तेमाल किया, जो निर्माणाधीन साइटों से संबंधित है।
वरिष्ठ वकील बिरेंद्र सराफ ने दो जजों की बेंच को बताया कि परिसर में कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा था जब बीएमसी स्टाफ ने 5 और 7 सितंबर को अवैध निर्माण मिलने का दावा किया। कोर्ट ने बीएमसी को वह फोन भी जमा कराने को कहा है कि जिसने कंगना रनौत के बंगले में 5 सितंबर को अवैध कब्जे का पता लगाया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस अवैध निर्माण की कोई तस्वीर ली गई थी। बताया गया है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर बीएमसी टीम 7 सितंबर को निरीक्षण के लिए पहुँची थी।
बिरेंद्र सराफ ने कहा कि तोड़फोड़ की असली वजह अवैध निर्माण नहीं कंगना का शिवसेना नेता संजय राउत के साथ सोशल मीडिया पर टकराव था। जस्टिस एसजे काठावाला और जस्टिस आरआई चागला की पीठ कंगना रनौत की अपील पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने पहले 9 सितंबर को स्टे की माँग की थी। बाद में उन्होंने तोड़-फोड़ से हुए नुकसान को लेकर 2 करोड़ रुपए का हर्जाना माँगा है।
कंगना रनौत ने हाई कोर्ट से कहा कि उनके पास सबूत के तौर पर तस्वीरें हैं, जो उनके दावे को मजबूत करते हैं कि बीएमसी की ओर से अवैध कहे जा रहे निर्माण को 2019 में पूरा कर लिया गया था। इन्हें जनवरी 2020 में ली गई तस्वीरों से साबित किया जा सकता है। तस्वीरें परिसर में हुई पूजा के दौरान ली गई थीं।