कानपुर में एक मदरसे का मौलवी जावेद, जो कि मदरसे के अंदर ही एक नाबालिग़ लड़की से रेप का आरोपित है। अब वह निकाह की आड़ में बचने का उपाय तलाश रहा है। मौलवी का कहना है कि उसने पीड़िता के साथ निकाह कर लिया था। जबकि पीड़िता को आरोपित मौलवी फॉर्म भरवाने के नाम पर मदरसा ले गया था, जहाँ उस समय जावेद की मामी आब्दा इस्लाम और उनकी बेटी शीबा (जो उसी मदरसे में पढ़ाती हैं) के अलावा कोई अन्य छात्र मौजूद नहीं था। आरोपित ने मदरसे में ही रेप किया जबकि वहाँ उपस्थित दो महिला टीचर उसकी मदद को आगे नहीं आई।
आरोपित जो अब तक भागा-भागा फिर रहा था, जिसे पुलिस ने मोबाइल फोन को ट्रैक कर गिरफ्तार कर लिया है। स्वराज्य की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि आरोपित ने मदरसे में पीड़िता के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध की बात स्वीकार कर ली है लेकिन आरोपित मौलवी का कहना है कि उसने रेप करने से पहले उसके साथ निकाह किया था।
हालाँकि, मौलवी ने कोई निकाहनामा पुलिस के सामने पेश नहीं किया है। मौलवी ने यह भी दावा किया है कि पीड़िता नाबालिग नहीं है बल्कि 19 साल की है। जबकि परिवार द्वारा पीड़िता का जो जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, उसमे उसकी जन्म तिथि 19 मार्च 2004 है, अर्थात वह अभी 15 साल की है।
पीड़िता का परिवार इस बात से चिंतित है क्योंकि मोहल्ले में आरोपित मौलवी का पीड़िता से निकाह वाली बात फैल चुकी है। पीड़िता के पिता ने कहा, “हमारे ऊपर जावेद को पैसे के लिए फँसाने के झूठे आरोप लगा, बदनाम किया जा रहा है। कोई भी हमारा साथ नहीं दे रहा है।” पीड़िता की कजिन का कहना है कि मुहल्ले वाले भी मौलवी के ही साथ हैं, कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है, यहाँ तक पुलिस स्टेशन भी कोई हमारे साथ नहीं गया।
पीड़िता की माँ का कहना है कि मौलवी की मामी आब्दा ने हमें पुलिस में शिकायत न करने के लिए पैसे देने की बात की। निकाह की बात से भी इनकार करते हुए पीड़िता की माँ ने कहा कि उनका खुद का पति अभी 34 साल का है तो वह भला अपनी बेटी का निकाह उसके बाप के भी उम्र से ज़्यादा उम्र के व्यक्ति से कैसे कर सकती हैं। कैसे मैं अपना दामाद अपने पति से भी बूढ़ा लाऊँ?
पीड़िता के अब्बू ने कहा कि वैलिड निकाह में एक काजी और चार गवाहों की आवश्यकता होती है। दोनों तरफ से दो-दो गवाह और निकाह के बाद, निकाहनामा की एक-एक कॉपी दोनों पक्षों को दी जाती है। लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है।
निकाह और निकाहनामें की मुस्लिमों में क्या हालात हैं यह भी चिंता का विषय है। नूरजहाँ साफिआ निआज़, जो कि एक मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं और भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संस्थापिका भी हैं, ने बताया कि मुस्लिम समुदाय द्वारा कोई भी निकाह का तय नियम का पालन नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी मदरसा या मस्जिद द्वारा दिए गए निकाहनामें में संस्था का नाम प्रिंट होता है और महज कुछ कॉलम भरे होते हैं जिसे समुदाय और कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है।