कर्नाटक में राज्य शिक्षा विभाग से जुड़े करीब 200 अरबी स्कूलों का सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण में यह बात निकलकर सामने आई कि सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों का अधिकांश स्कूल पालन नहीं कर रहे हैं ।
राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने कहा, “हमें शिकायतें मिली हैं कि इन स्कूलों के छात्र दूसरे स्कूलों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि उनके पास शिक्षा का उचित स्तर नहीं है।”
Around 200 Arabic schools are registered with Karnataka Education Board. We received complaints that students of these schools aren’t capable of competing with students of other schools as they don’t have a proper standard of education: BC Nagesh, Karnataka School Education Min pic.twitter.com/pEkK88F5ll
— ANI (@ANI) October 28, 2022
रिपोर्ट मिलने के बाद होगी करवाई
इससे पहले शिक्षा मंत्री ने कहा था, “हमने उन स्कूलों का सर्वेक्षण करने का फैसला किया और पाया कि अधिकांश अरबी स्कूल राज्य शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। हमने सहायक आयुक्त से इसकी समीक्षा करने को कहा है और रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई करेंगे।”
Around 200 Arabic schools are registered with Karnataka Education Board. We received complaints that students of these schools aren’t capable of competing with students of other schools as they don’t have a proper standard of education: BC Nagesh, Karnataka School Education Min pic.twitter.com/pEkK88F5ll
— ANI (@ANI) October 28, 2022
वहीं इससे पहले मंत्री ने हिजाब मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी खुल कर अपनी राय रखी थी । अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा था कि वह सर्वोच्च अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन उन्हें बेहतर फैसले की उम्मीद की थी, क्योंकि दुनिया भर की महिलाएँ हिजाब नहीं पहनने की मांग कर रही हैं। हालाँकि उन्होंने कहा था कि ड्रेस कोड लागू करने वाले शैक्षणिक संस्थानों की कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
याद दिला दें कि हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया ने अलग-अलग फैसला दिया था। जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था, वहीं जस्टिस धूलिया ने इसे खारिज कर दिया था।