कर्नाटक सरकार ने गुरुवार (23 नवंबर 2023) को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के खिलाफ वारंट जारी किया है। बताया जा रहा है बेंगलुरु में एक यतीमखाने की विजिट के दौरान प्रियांक कानूनगो ने वहाँ के बच्चों की हालत देख उसकी तुलना तालिबानी जिंदगी से कर दी थी। उसी से नाराज होकर कर्नाटक सरकार ने एक शिकायत पर यह कदम उठाया।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उसी यतीमखाने के एक सदस्य की शिकायत पर कर्नाटक पुलिस ने प्रियांक कानूनगो के खिलाफ केस को दर्ज किया है। एनसीपीसीआर ने इस एफआईआर के बाद बयान में बताया कि 19 नवंबर प्रियांक कानूनगो ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी और अन्य अधिकारियों के साथ एक अवैध यतीमखाने में छापेमारी की थी, जिसका नाम दारुल उलूम सैय्यादिया यतीम खाना है। इस छापेमारी में कई अनियमतताएँ पाईं गई थीं।
एनसीपीसीआर का इस एफआईआर दर्ज होने पर कहना है कि सरकार आयोग की आवाज को दबाना चाहती है जो कि सिर्फ गरीब बच्चों के अधिकार की बात करता है। यतीमखाने में अपने औचक निरीक्षण के बाद उन्होंने बताया था कि कैसे पूरे यतीम खाने में ठूँसकर 200 बच्चों को रखा गया है। इनमें से 8-8 बच्चे तो 100 वर्ग फिट के 5 कमरों में रहते हैं जबकि कॉरिडोर में 16 बच्चे रहते हैं। बाकी बचे 50 बच्चों को मस्जिद के नमाज़ पढ़ने वाले 2 अलग-अलग हाल में रात को सुलाया जाता हैं। ये सभी बच्चे दिन भर इन्हीं नमाज़ वाले हाल में रहकर मदरसे की इस्लामिक दीनी तालीम लेते हैं।
India News | NCPCR Seeks Details of Muslim Orphanages from Across Nation https://t.co/siixE6sXdK via @Latestly
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) November 24, 2023
एनसीपीसीआर अध्यक्ष बोले कि छापे के दौरान यतीमखाने में मौजूद लोगों ने उन्हें बताया कि बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता उन्हें वहीं शिक्षा दी जाती है जो 200 साल पहले दी जाती थी। इतना ही नहीं, वहाँ बच्चों के खेलने का कोई सामान तक नहीं है और न ही कोई टीवी है। निरीक्षण के वक्त कई छोटे बच्चे दिखे जो डरे हुए थे। बस उन्हें सारे वक्त मस्जिद के अंदर रखा जाता है। एक तरह से ये बच्चे मध्ययुगीन तालिबानी जीवन जी रहे हैं। इनके हिस्से में जैसे संविधान में लिखा जीवन है ही नहीं।
बंगलुरु,कर्नाटक में दारूल उलूम सैय्यादिया यतीम खाना नाम से अवैध ढंग से चलते हुए एक ग़ैरपंजीकृत अनाथ आश्रम का औचक निरीक्षण किया जिसमें कई अनियमिततायें पायी गयीं।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) November 20, 2023
यहाँ क़रीब 200 यतीम (अनाथ) बच्चों को रखा गया है।
100 वर्गफ़िट के कमरे में 8 बच्चों का रखा जाता है,ऐसे 5 कमरों में 40… pic.twitter.com/dnp1g8Wj7a
प्रियांक कानूनगो कहते हैं कि इस यतीमखाने के छापेमारी के बाद जब आयोग ने नोटिस जारी किया तो कर्नाटक सरकार ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। वो लोग हमारी आवाज को दबाना चाहते हैं। अगर हम गरीब बच्चों के अधिकार की बात करेंगे तो वो इसे मजहब के शीशे से देखेंगे। वो आयोग को दबाना चाहते हैं। उन्हें समझना होगा कि उनके दाँव-पेंच काम नहीं आने वाले। उन्हें इस मामले में एक्शन लेना ही होगा।
यतीमखाना में जानवरों की तरह ठूँसे हुए थे अनाथ, मौलवी को देख बंद कर लेते थे ऑंखें: दीनी तालीम के नाम पर तालिबानी जीवन जीते बच्चे NCPCR को मिले#Bengaluru #NCPCR https://t.co/9P8jCj9AlA
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) November 20, 2023
बता दें कि इस यतीमखाने के निरीक्षण के बाद एनसीपीसीआर ने कर्नाटक सरकार की क्लास लगाई थी। नका कहना है कि ये राज्य सरकार की लापरवाही का सुबूत और देश के संविधान का उल्लंघन है। आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य के चीफ़ सेक्रेटरी को नोटिस जारी किया था। उनसे 7 दिन के भीतर कार्रवाई करके मामले में रिपोर्ट देने को बोला गया था। इसके साथ ही ऐसा नोटिस हर राज्य के मुख्य सचिवों को भेजा गया था ताकि हर अवैध यतीमखाने बंद करवाने पर कार्रवाई हो सके।