Monday, December 23, 2024
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किस कानून के तहत मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल: कर्नाटक हाईकोर्ट का सरकार से सीधा सवाल

कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से पूछा कि आखिर अनुमति से पहले 16 मस्जिदों द्वारा लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किस प्रावधान के तहत हुआ और ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही ह।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर मामले में 16 नवंबर 2021 को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतु राज अवस्थी (Ritu Raj Awasthi) और जस्टिस सचिन शंकर मागादुब (Sachin Shankar Magadum) ने इस केस की सुनवाई करते हुए कर्नाटक सरकार से पूछा कि आखिर अनुमति से पहले 16 मस्जिदों द्वारा लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किस प्रावधान के तहत हुआ और ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है।

इस मामले में बता दें कि थानिसंद्रा मेन रोड स्थित आइकॉन अपार्टमेंट के 32 निवासियों ने लाउडस्पीकर और माइक से हो रहे ध्वनि प्रदूषण को लेकर 16 मस्जिदों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट में राकेश पी और अन्य की ओर से पेश हुए वकील श्रीधर प्रभु ने कहा कि लाउडस्पीकर और माइकों के इस्तेमाल को हमेशा चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

उन्होंने अपनी याचिका में नियम 5 (3) का हवाला दिया। ये नियम लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करता है। ये राज्य सरकार को अधिकार देता है कि वो रात में होने वाले किसी धार्मिक, सांस्कृतिक या त्योहार पर कुछ समय के लिए लाउडस्पीकर को अनुमति दे दें। लेकिन ये सब भी साल में 15 दिन से ज्यादा के लिए नहीं।

वकील ने बताया कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड को ऐसे मामलों में अनुमति देने का अधिकार नहीं है, जिनका सर्कुलर दिखाकर कहा जा रहा है कि इस कारण से उन्होंने (मस्जिदों) लाउडस्पीकर लगाए। वहीं मस्जिद पक्ष से इस याचिका का विरोध किया गया और कहा गया कि उन्होंने पुलिस से परमिशन ली थी। उनके मुताबिक लाउडस्पीकर ऐसे डिवाइस के साथ लगाए गए हैं जिससे किसी एक तय जगह से ज्यादा आवाज नहीं जाएगी। इसके अलावा लाउडस्पीकर प्रतिबंधित समय यानी कि 10 से 6 बजे के बीच भी नहीं बजाया जाता।

गौरतलब है कि इसी केस में कोर्ट ने मस्जिदों को Noise Pollution Act 2000 के तहत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट के निर्देश थे कि वे तब तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करेंगे, जब तक कि उन्हें शोर के अनुसार अधिकारियों से लिखित में सहमति नहीं मिल जाती।

कर्नाटक हाईकोर्ट से पहले मस्जिदों के लाउडस्पीकर को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की थी। अदालत ने माना था कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है, क्योंकि यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा था कि किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान करना दूसरे लोगों के अधिकारों में दखल देना है। दूसरों को सुनने के लिए मजबूर करने का अधिकार किसी को नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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