कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सरकार को मांड्या के श्रीरंगपट्टण जामा मस्जिद में बने मदरसे के खिलाफ नोटिस जारी किया है। राज्य केंद्र सरकार सहित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को बुधवार (17 जनवरी, 2024) को एक जनहित याचिका के तहत ये नोटिस जारी किया गया।
इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना V वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने मांड्या के उपायुक्त को भी नोटिस देने का आदेश दिया। ये याचिका रामनगर जिले के कनकपुरा तालुक के होसा कब्बालू गाँव के निवासी अभिषेक गौड़ा ने दायर की है।
याचिकाकर्ता ने ऐतिहासिक जामा मस्जिद के परिसर में बने मदरसे के अवैध संचालन पर सवाल उठाया है। इसमें दावा किया गया है कि ये मस्जिद टीपू सुल्तान के दौर में बनी है और इसे एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यहाँ आवासीय मदरसा चलाना इसे नुकसान पहुँचाना है।
याचिका में ये भी कहा कहा गया है कि ये प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 16 के साथ-साथ प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष नियम, 1959 के नियम 7 और 8 का साफ उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि इस मदरसे में करीब 50 से 60 बच्चे तालीम ले रहे हैं। याचिकाकर्ता के मुताबिक, टॉयलेट, बाथरूम, रेस्ट रूम, किचन, कपड़े धोने और सुखाने, रोजाना खाना पकाने और भोजन की खपत के साथ ही मदरसे को मस्जिद से अलग करने के निर्माण से प्राचीन स्मारक की जटिल नक्काशी को नुकसान पहुँच रहा है।
याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि उसने केंद्र सहित राज्य सरकार और ASI को इस मदरसे की जानकारी दी थी। यही नहीं, 20 मई, 2020 को उसने मांड्या जिला कमिश्नर को भी शिकायत की थी।
याचिकाकर्ता का दावा है कि उसने ASI से RTI दायर कर मदरसा चलाने के लिए दी गई मंज़ूरी की कॉपी माँगी। इसके जवाब में एएसआई ने कहा है कि मंजूरी देने का कोई रिकॉर्ड उसके दफ्तर में मौजूद नहीं है। याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि श्रीरंगपट्टण के कुछ लोगों और विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने जामा मस्जिद के अंदर मदरसा चलाने के खिलाफ विरोध किया है।
बताते चलें कि ‘विश्व हिंदू परिषद‘ (VHP) के कार्यकर्ताओं ने 4 जून, 2022 को श्रीरंगपट्टण शहर में प्रदर्शन कर जामिया मस्जिद को हिंदुओं को लौटाने की माँग की थी। उन्होंने दावा किया था कि यह एक हनुमान मंदिर है, जिसे 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान ने तोड़ा था।