कर्नाटक के इंदिरा कैंटीन फिर से विवादों में घिर गई है क्योंकि कॉर्पोरेटर उमेश शेट्टी ने आरोप लगाया है कि कैंटीन में परोसा जाने वाला भोजन खाने योग्य नहीं है। उन्होंने कथित तौर पर रमैया उन्नत परीक्षण प्रयोगशाला और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान द्वारा दी गई रिपोर्ट को आरोपों को आधार बनाया। इसमें कहा गया कि भोजन संतोषजनक मापदंडों पर खरा नहीं उतरता जो कि खाने योग्य नहीं है।
डेक्कन हेराल्ड की ख़बर के अनुसार, मुदलपाल, ब्यातारण्यपुरा, जयनगर, जेपी नगर और नागापुरा वार्ड कैंटीन से प्राप्त भोजन पर परीक्षण किया गया था। नमूनों की तौर पर चावल, सांभर और अन्य व्यंजन शामिल किए गए थे।
उमेश शेट्टी ने ख़बर का हवाला देते हुए कहा कि इंदिरा कैंटीन से पुरामिकिकास (नगरपालिका कार्यकर्ता) को दिया जाने वाला भोजन खाने योग्य नहीं है। दो प्रयोगशालाओं में यह परीक्षण करने के बाद, यह पाया गया कि भोजन में हानिकारक बैक्टीरिया मौजूद थे जो विभिन्न स्वास्थ्य बीमारियों का कारण बन सकते हैं। उन्होंने राज्य सरकार से ऐसे भोजन के निर्माताओं के ख़िलाफ़ हस्तक्षेप करने और कार्रवाई करने की भी अपील की।
कर्नाटक के डिप्टी सीएम जी परमेस्वर ने कहा है कि उन्होंने बीबीएमपी कमिश्नर को 198 वार्डों में सभी इंदिरा कैंटीनों में दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की तुरंत जाँच करने का निर्देश दिया है। अगर खाद्य गुणवत्ता में मिलावट पाई गई तो ठेकेदारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि इंदिरा कैंटीन योजना कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा अगस्त 2017 में सिद्धारमैया के नेतृत्व में शुरू की गई थी। यह तमिलनाडु की अम्मा कैंटीन से प्रेरित थी, जिसके तहत ज़रूरतमंदों को कम क़ीमतों पर दिनभर भोजन उपलब्ध कराना था। हालाँकि, यह योजना अपने उद्घाटन के बाद से ही विभिन्न विवादों का हिस्सा रही है। बेंगलुरु में इंदिरा कैंटीन के उद्घाटन के दो दिनों के भीतर ही ख़बरें सामने आई थीं कि इंदिरा कैंटीन में प्लास्टिक ड्रम में आए खाने की उचित गुणवत्ता की जाँच किए बिना परोसा गया था।